भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट से अनुमति मिलने के बाद एमपी-पीएससी चयनित पुरुष सहायक प्रोफेसरों के नियुक्ति पत्र जारी कर दिये हैं, लेकिन आरक्षण का मामला हाईकोर्ट में चलने के कारण चयनित 91 सहायक महिला प्रोफेसरों की नियुक्ति अभी तक अटकी हुई है। इसी को लेकर इन महिला सहायक प्रोफेसरों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उच्च शिक्षा विभाग की उदासीनता को लेकर रविवार को एमपी-पीएससी से चयनित 91 महिला सहायक प्रोफेसर भोपाल के नीलम पार्क में धरने पर बैठ गई हैं। इस दौरान उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। रविवार शाम को कैंडल मार्च निकालने की तैयारी भी की जा रही है।
प्रदर्शनकारी सहायक महिला प्रोफेसरों का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर उच्च शिक्षा विभाग ने उन्हें नियुक्ति से वंचित कर दिया है। इस सम्बम्ध में उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी से मुलाकात की थी। तब उन्हें मंत्री ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही उनके मामले में हाईकोर्ट में शपथ पत्र देकर मामले का जल्द निराकरण कराया जाएगा, लेकिन इस दिशा में उच्च शिक्षा विभाग ने अब तक कोई पहल नहीं की है। इसके साथ ही कानून मंत्री पीसी शर्मा ने भी महिला सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति को रोककर रकने को अन्यायपूर्ण मानते हुए मामले को संज्ञान में लेने की बात कही थी। मुख्यमंत्री को भी इस मामले को लेकर ज्ञापन सौंपा गया है, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग उदासीन रवैया अपनाए हुए है और उनकी नियुक्ति को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
नियुक्ति मिलने से वंचित 91 सहायक महिला प्रोफेसर रविवार को भोपाल के नीलम पार्क पहुंचीं और धरने पर बैठ गईं। इस दौरान उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए उच्च शिक्षा विभाग पर दोषारोपण किया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनके मामले में आगामी सात जनवरी तक कोई सकारात्मक पहल विभाग द्वारा नहीं की जाती है तो वे आमरण अनशन पर बैठजाएंगी। इसके साथ ही सभी मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति के नाम पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग करेंगी।
उल्लेखनीय है कि एमपी-पीएससी द्वारा 2700 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए परीक्षा ली गई थी, जिसका परिणाम पिछले साल दिसम्बर में ही घोषित कर दिया गया था। इस परीक्षा में महिला आरक्षण को लेकर मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था, जिसके चलते 18 विषयों में अनारक्षित महिला सीट पर चयनित आरक्षित वर्ग की 91 महिलाओं को ज्यादा नम्बर लाने पर भी नियुक्ति नहीं दी गई। बताया गया है कि इन महिलाओं के नम्बर अनारक्षित वर्ग की महिला एवं पुरुष अभ्यर्थियों से अधिक हैं। अंग्रेजी, भूगोल मनोविज्ञान आदि विषयों में तो प्रथम स्थान पर चयनित महिला को इसी कारण नियुक्ति नहीं दी गई, जबकि चयन सूची में सबसे अंतिम स्थान पर चयनित अभ्यर्थी को नियुक्ति दे दी गई है। यह नियुक्तियां हाईकोर्ट से अनुमति मिलने के बाद दी गई है, लेकिन 91 महिला सहायक अध्यापक अब भी नियुक्ति मिलने के इंतजार में हैं और अब उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।