मुन्नी की बैठक में हुआ जमकर ड्रामा ,मुन्नी ने माफ़ी मांगी
शैफाली गुप्ता कोलार नगर पालिका में मंगलवार को आपातकालीन बैठ बुलवाई गई थी | मुद्दा पानी का बताया गया था | मगर जब बैठक शुरू हुई तो नज़ारे कुछ अलग ही थे , बैठक शुरू होते ही तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई और ऐसा लगने लगा जैसे सब ये जताने की कोशिश में लगे हैं की हम ही अधिक बलवान भी हैं और अकल्मन्द भी | वैसे बैठक पानी को लेकर थी मगर पानी छोड़ बाकि सभी मुद्दों पर बहस होती रही बहस के बीच कुछ अन्य कारणों से बैठक दो घंटो के लिए स्थगित कर दी गयी | दो घंटे के बाद जब बैठ शुरू हुई तो सब एक दूसरे पर इल्जाम लगते नजर आये | इल्जामों का कारण था ६४ लाख रूपये का लैप्स हो जाना , जो पये जल योजना का था! कांग्रेस , बीजेपी और अधिकारी एक दुसरे पर इल्जाम लगते रहे की योजना तुम्हारे कारण नहीं शुरू हो पाई और ६४ लाख रूपये लैप्स हो गए | सारी किच-किच के बिच फैसला लिया गया की कोलार वासियों को फिर टैंकर के सहारे रहना पड़ेगा और पूरे कोलार में टैंकरों से पानी डलवाया जायेगा | पानी की पूर्ति के लिए जल बाहुल्य क्षेत्रों में बोरिंग कराये जायेंगे , टैंकर परिवहन के सम्बन्ध में निविदाये बुलाई जाएँगी | योजनाए पूर्ण न होने का कारण अध्यक्ष ने अधिकारीयों को बताया और यह कह कर पल्ला झाड़ लिया की अधिकारीयों ने कभी भी योजनाओं के बारे में जानकारी ही नहीं दी थी | जबकि सीएमओ विक्रम सिंह ने बताया की पानी से सम्बंधित सभी योजनाओं की जानकारी अध्यक्ष मुन्नी यादव को समय-समय पर दी गयी हैं और पिछली परिषद की बैठकों में इन पर फैसले भी लिए जा चुके हैं , पता नहीं की क्यूँ अध्यक्ष ने ये आपातकालीन बैठक बुलाई | बैठक के बीच अध्यक्ष और उपयंत्री विनोद त्रिपाठी में भी जम कर गहमा-गहमी हो गयी अध्यक्ष ने अपने मन की कई दिनों की भड़ास और गुस्सा यह कहकर उपयंत्री पर निकला की आप औकात में रहिये वही उपयंत्री ने अपनी सभ्यता को कायम रखते हुए कहा की आप भी संभाल कर बात कीजिये | हमारी जब उपयंत्री से बात हुई तो उन्होंने कहा की पता नहीं क्यों अध्यक्ष को उनसे दिक्कत हैं | वे कभी भी उनसे ठीक से बात नहीं करती और वे ये भी भूल जाती हैं की वे एक महिला हैं और उन्हें असभ्य भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए | जब भी उनके समक्ष मेरे से सम्बंधित कोई भी फाइल आती हैं तो वे अन्य मुद्दों पर बात करके बैठक ख़त्म कर देती हैं और मेरी फाइल को पैंडिंग कर देती हैं ऐसा एक बार नहीं बल्कि जब से इनका कार्यकाल शुरू हुआ हैं तब से यही रवैया हैं | पूरी बैठक में एक चीज और गौर करने वाली थी बीजेपी के कुछ पार्षद अचानक अध्यक्ष की बोली बोलते नजर आये ऐसा क्यों हुआ उसके पीछे कई कारण बताये जा रहे हैं उसमे एक मुख्य कारण यह भी बताया जा रहा हैं की चूँकि अब इस परिषद् का कुल डेढ़ साल का समय बचा है और सिर्फ और सिर्फ पैसा ही पार्टी हैं और जो अभी तक अपनी पार्टी के गुण गाकर नहीं कर पाए वो सिर्फ अध्यक्ष की बोली बोल कर ही हो सकता है और माया तो माया हैं इसके पीछे पार्टी बदलनी पड़े तो क्या | खैर यह बैठक होनी ही नहीं चाहिए थी ,जल से सम्बंधित बैठक थी और जल कार्य प्रभारी अनु शर्मा ही उपस्थित नहीं थी कारण था की उनकी माता जी का देहांत दो-तिन दिन पहले ही हुआ था ऐसे में कुछ पार्षदों ने बैठक का विरोध किया और कहा की पार्षद किसी भी पार्टी का हो हमें सुख-दुःख का साथी होना चाहिए इस तरह आपातकालीन बैठक नहीं बुलानी चाहिए थी इस पर अध्यक्ष को अपनी गलती समझ में आई और पूरी परिषद् से माफ़ी मांगी और दोबारा ऐसी गलती नहीं दोहराने की बात कही |