इंदौर। मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनीट्रैप मामले में जब्त किये गये वीडियो और ऑडियो की जांच अब हैदराबाद की सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लैब में होगी। दरअसल मंगलवार को मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में इस मामले को लेकर सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एससी शर्मा और शैलेंद्र शुक्ला की युगलपीठ ने विशेष जांच दल (एसआईटी) को मामले से जुड़ी हार्ड डिस्ट, वीडियो-आडियो की जांच सेंट्रल लैब में कराने का आदेश दिया।
वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक चितने ने मामले की जानकारी देते हुए बुधवार को बताया कि हनीट्रैप से जुड़े मामले में लगाई गई तीन अलग-अलग चायिकाओं पर मंगलवार को इंदौर उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने अपनी अभिरक्षा में जमा कराई गई हार्ड डिस्क को सील बंद लिफाफे में एसआईटी को सौंपा, जिसे एसआईटी की टीम दूसरे साक्ष्यों के साथ हैदराबाद की फोरेंसिक लैब परीक्षण के लिए भेजेगी। बाकी दो याचिकाओं पर सुनवाई के लिए आगामी 10 फरवरी की तारीख निर्धारित की गई है।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश एससी शर्मा और शैलेंद्र शुक्ला की युगलपीठ ने मामले में आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया है कि आरोपित महिलाओं के पास जो हार्ड डिस्क व अन्य इलेक्ट्रानिक डिवाइस जब्त किये हैं, उन्हें एसआईटी की सदस्य इंदौर एसएसपी रुचिवर्धन मिश्र को बंद लिफाफे में सौंप गई और उन्हें निर्देश दिये कि वे उसे सीलबंद लिफाफे में सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी हैदराबाद को जांच के लिए भेज दें।
हनीट्रैप मामले को लेकर जो तीन याचिकाएं दायर की गई थी, उनमें से एक सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक चितने का माध्यम से वीडियो-आडियो को लेकर लगाई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने उनकी जांच हैदराबाद में कराने के निर्देश दिये। वहीं, दूसरी याचिका मीडिया ट्रायल को लेकर लगी नगर निगम के निलंबित इंजीनियर हरभजन सिंह ने लगा थी, जिसका हाईकोर्ट ने कोई जवाब नहीं दिया। तीसरी याचिका आरोपित मोनिका यादव की ओर से एडवोकेट सुदर्शन जोशी ने दायर की थी। इन दोनों याचिका की सुनवाई अब 10 फरवरी को होगी।