भोपाल। मप्र में सरकारी स्कूलों में अध्यापन कार्य में लापरवाही बरतने के आरोप में स्कूल शिक्षा विभाग ने 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है। इस संबंध में शनिवार को देर रात करीब 10 बजे विभाग ने आदेश जारी किया है। आदेश में बताया गया है कि अन्य 68 शिक्षकों के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू कर दी है।
दरअसल प्रदेश में स्कूल शिक्षा में सुधार लाने के लिए शिक्षा विभाग ने ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई शुरू की है, जो शिक्षा के पैमानों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में अयोग्य शिक्षकों के खिलाफ स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी के निर्देश पर शनिवार की रात आदेश जारी कर 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई।
बच्चों के भविष्य को देखते हुए की गई सख्त कार्रवाई: मंत्री डॉ. चौधरी
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बताया कि अध्यापन में लापरवाही बरतने वाले 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है। मध्यप्रदेश सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स के तहत 20/50 के फार्मूले पर सेवानिवृत्ति दी गई है, जिसमें प्रावधान है कि 20 साल की सेवा या 50 वर्ष की आयु पूरी होने पर अनिवार्य सेवानिवृत्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि शिक्षा कार्य में लापरवाही बरतने एवं 30 प्रतिशत से कम रिजल्ट लाने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है। उन्होंने कहा कि अध्यापन में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों पर सेवानिवृत्ति की कार्यवाही करने वाला मध्यप्रदेश प्रथम राज्य है। ऐसे शिक्षक, जो या तो पढ़ाना नहीं चाहते या पढ़ाने में अक्षम हैं, उन्हें बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि 30 प्रतिशत रिजल्ट वाले शिक्षकों की पात्रता परीक्षा जून में ली गई थी। यह परीक्षा 5891 शिक्षकों ने दी थी, जिसमें से 1351 फेल हुए शिक्षकों को ट्रेनिंग देकर 14 अक्टूबर को फिर से परीक्षा ली। दूसरी बार में भी 84 शिक्षक 33 प्रतिशत से कम अंक लाकर फेल हो गये। अनुत्तीर्ण हुए 26 शिक्षकों को चेतावनी देते हुए हाई और हायर सेकण्डरी स्कूल से पदावनत करते हुए प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं में भेजने की कार्रवाई की गई। वहीं 20 साल की नौकरी या 50 की उम्र फार्मूले से बाहर आने वाले 20 शिक्षकों की विभागीय जांच शुरू हो चुकी है। ट्रायवल विभाग के 20 शिक्षकों की जांच संबंधित विभाग द्वारा की जा रही है। फेल हुए शिक्षकों में 2 के दस्तावेजों की जांच स्कूल शिक्षा विभाग कर रहा है।