कोलार के भोपाल नगर पालिका में विलय का रास्ता साफ़
कुछ नेता ,अफसर और बिल्डर करवा रहें हैं विरोध हुजूर के विधायक और कोलार नगर पालिका के सीएमओ सत्येन्द्र सिंह धाकरे इस जोड़तोड़ में लगे रहे कि कोलार नगर पालिका का स्वतंत्र अस्तित्व बना रहे इसके बावजूद कोलार के भोपाल नगर निगम में के विलय को हरी झंडी मिल गई। कोलार के साथ भोपाल नगर निगम में 142 अन्य गांवों को भी शामिल किया जा रहा है। इसके साथ ही नगर निगम का क्षेत्रफल 285 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 950 वर्ग किलोमीटर तक फैल जाएगा। कोलार के विलय से जिन नेताओं ,अफसरों और बिल्डर्स को बड़ा नुक्सान होने वाला है वे लोगों इसका विरोध करवा रहे हैं ,जबकि आम लोग कोलार के भोपाल में मिलने से इलाके के व्यवस्थित विकास की उम्मीद लगाये बैठे हैं। कलेक्टर निशांत वरवड़े ने मैराथन बैठक कर इसका प्रस्ताव बना के राज्य सरकार को भिजवा दिया है , सरकार से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद विलय की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी । स्थानीय निकायों के चुनाव से पहले भौगोलिक सीमा बढ़ाने के पांच प्रस्ताव जिला प्रशासन ने तैयार किए थे। राजनीतिक और प्रशासनिक पेचीदगियों से निपटते हुए कोलार नगरपालिका के विलय के साथ ही आसपास के 142 गांवों को निगम सीमा में शामिल करने के प्रस्ताव पर सहमति बनी। विस्तारित क्षेत्र में अभी भी लगभग 2500 करोड़ रुपए के हाउसिंग और कामर्शियल प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं, जिनके नगर निगम सीमा में शामिल होते ही रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है।ईमानदार से काम करने वाले बिल्डर इससे खुश हैं वहीँ अब तक कोलार जैसे इलाकों में फर्जीवाड़े में शामिल अफसर और बिल्डर इससे बेहद परेशान हैं। क्रेडाई के प्रवक्ता मनोज सिंह मीक का कहना है कि निगम सीमा से बाहर इस वक्त करीब 2500 करोड़ रुपए के हाउसिंग और कमर्शियल प्रोजेक्ट चल रहे हैं। निगम के दायरे में आने से इनकी मॉनीटरिंग बेहतर हो सकेगी। साथ ही रियल एस्टेट मार्केट में उछाल आएगा। कोलार और अन्य गांवों के लिए शासन एक साल पहले ही नोटिफिकेशन निकाल कर सुनवाई का काम पूरा कर चुका है। इसलिए सरकार इसे शामिल करने की अधिसूचना अलग से जारी कर देगी, जबकि बाकी 142 गांवों को शामिल करने के लिए नोटिफिकेशन निकाल कर दावे और आपत्ति व सुनवाई की जाएगी। कोलार भोपाल नगर निगम में मिला तो यहाँ रहने वालों को बड़ा नुकसान होगा ऐसा कहकर कुछ अफसार और बिल्डर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। ये स्वार्थी लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए आम लोगों को आंदोलन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यही वजह है कि कुछ लोग इसके विरोध में सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को 'कोलार नगर पालिका अस्तित्व बचाओ महासंघ' के बैनर तले एक रैली निकली गई , इसमें युवा, महिलाएं, सीनियर सिटीजन और कुछ बच्चे भी शामिल हुए। इस महासंघ के प्रमुख सुनील पांडे का कहना है कि कुछ नेता अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए डेढ़ लाख आबादी वाले उपनगर की बलि चढ़ाने पर तुले हैं। विलय के विरोध में सुनील पांडे का तर्क है कि जब घर दो कमरे का छोटा सा होता है, तो उसे संभालना आसान होता है। मगर जब वही घर १०० कमरे का हो जाता है, तो उसे संभालन आसान नहीं होता। इसलिए विलय करने के बजाए नगर पालिका का अलग अस्तित्व बने रहना ही कोलार के रहवासियों के लिए हित में होगा।