भोपाल। मध्य प्रदेश के पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने गुरुवार को अपने विभाग के एक साल के कार्यकाल का लेखा जोखा जनता के सामने पेश किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में पानी का सबसे ज्यादा महत्व है और कमलनाथ सरकार पानी का महत्व समझते हुए आने वाले समय में जल समस्याओं से निपटने के लिए प्रयास कर रही है।
मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा कि उन्होंने सरकार संभलते ही सबसे पहले पानी की चिंता की। 15 साल में केवल 12 प्रतिशत सप्लाई नल के माध्यम से की जा रही थी। पाइपलाइन, हैण्डपम्प सब खराब थे और केवल भाषणबाजी होती थी। सीएम कमलनाथ ने स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी की समस्याओं को दूर करने का काम किया। जब विभाग संभाला तो हर जिले में विभाग पर कर्ज था। सरकार से बजट लेकर काम किया और व्यवस्थाओं को ठीक किया। योजनाओं के क्रियान्वन पर ध्यान दिया। मंत्री पासे ने बताया कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पानी की कमी को दूर करने के लिए एमपी सरकार राइट टू वाटर लेकर आ रही है। इसके लिए 68 हजार करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है ताकि पानी की कमी न रहे। इसके अंतर्गत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। बांधों में पेयजल का कोटा बनाया जाएगा, हर घर मे नल के माध्यम से पयजल पहुंचाया जाएगा। विभिन्न जिलों में नल जल योजना की डीपीआर तैयार कर ली गयी है।
उन्होंने बताया कि आईआईटी दिल्ली के साथ योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए टाईअप किया है। इन सभी योजनाओं के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक से 4500 करोड़ की सहायता विभाग की योजनाओं के लिए मिली है। जायका के माध्यम से झाबुआ और नीमच जिलों में काम होगा और नबार्ड बैंक से भी सहायता ली जा रही है। मंत्री सुखदेव पासे ने बताया कि उनके विभाग द्वारा 2019 में 6 हजार से ज्यादा हैंडपम्प लगाए गए। 600 नल जल योजना से पानी की व्यवस्था, 3 हजार बन्द नल योजना को चालू किया गया और अभियान चलाकर लाखों बन्द हेण्डपम्प दोबारा शुरू किए गए।
केन्द्र सरकार पर हमला बोलते हुए मंत्री पासे ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार केवल योजनाओं का नाम बदलती है, जिससे कुछ नहीं होता। चालू योजनाओं का पैसा भी केंद्र ने रोक रखा है। मप्र के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सीएम कमलनाथ ने खाली खजाना मिलने के बावजूद उनके पीएचई विभाग को इतने बजट का प्रवधान किया। मंत्री पासे ने कहा देश में पहली बार राइट टू वाटर मप्र में दिया जाएगा, इसके लिए ड्राफ्ट भी तैयार हो रहा है। बजट में इस कानून के लिए एक हजार करोड़ का प्रारंभिक प्रवधान भी कर दिया गया है।