भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 17 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है। उससे पहले बर्खास्त विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता को लेकर सस्पेंस बरकरार है। विधानसभा सचिवालय ने भी प्रहलाद लोधी का नाम विधायक सूची ने निकाल दिया है और उनके साथ पत्र संबंध समाप्त कर लिए है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा हर हाल में अपने विधायक की बहाली कराने के प्रयास में जुटी है। सदस्य बहाली को लेकर भाजपा लगातार विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगा रही है। इस बीच शुक्रवार सुबह नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति से मिलने उनके घर पहुंचे।
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति से मिलने का समय लिया था। शक्रवार सुबह वे उनके घर पहुंचे जहां भार्गव ने लोधी की सदस्यता बहाली को लेकर चर्चा की, साथ ही विधानसभा सत्र को लेकर भी चर्चा की। विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए गोपाल भार्गव ने कहा कि मुलाकात हुई है लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 17 दिसंबर से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है। पार्टी विधायक दल की बैठक में हमारे वरिष्ठ नेताओं और संगठन के साथ चर्चा करके आगामी सत्र में क्या करना है इसकी रुपरेखा तैयार करेंगे। गोपाल भार्गव ने कहा कि मैं 35 वर्षों से ज्यादा इस विधानसभा में सदस्य रहा हूं। मेरा ऐसा मानना है कि नेता प्रतिपक्ष और विधानसभा अध्यक्ष लोकतांत्रित व्यवस्था के अंतर्गत जीते है, इसलिए दोनों के बीच संवाद समाप्त नहीं होना चाहिए। गोपाल भार्गव ने कहा कि अगर नेता प्रतिपक्ष को सहयोग नहीं करेंगे तो मैं मानता हूं कि विधानसभा की कार्रवाई सुचारू रुप से कभी नहीं चल सकती। लगातार द्वंद होता रहेगा, कार्रवाई बाधित होती रहेगी और प्रश्रों के उत्तर नहीं आऐंगे। गोपाल भार्गव ने कहा कि मेरा प्राथमिक चरण था कि मैं अध्यक्ष से निवेदन करुं कि वो हमारे सदस्य की सदस्यता बहाल करे। सदन में बैठने का पात्र बनाए ताकि वे अपने क्षेत्र की समस्या को उठा सकें। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष किसी दल या पार्टी के नहीं सब विधायकों के संरक्षक है। विधायकों का कोई सीएम या मंत्री संरक्षक नहीं होता है। हम विधायकों का संरक्षक अध्यक्ष है। यदि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सजा को निलंबित कर दिया है तो उस आदेश के परिपेक्ष में सदस्य को बैठने की अनुमति दे।
वहीं विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का कहना है कि भाजपा के आरोप से वे आहत हुए हैं। सब विधि अनुसार हुआ है। कोर्ट से मिली सजा के बाद सुप्रीम कोर्ट के नियम के मुताबिक सदस्यता रद्द हो जाती है। इस पर उन्होंने तीन दिन बाद निर्णय लिया, अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है। मैं निष्पक्ष हूँ।