कोलार के मसले पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर खिंचा खाका
आखिरकार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हस्तक्षेप के बाद भोपाल नगर निगम में कोलार नगर पालिका और 20 गांव शामिल हो गए हैं। राज्य शासन ने विलय पर औपचारिक मुहर लगा दी है। अब सोमवार को इसका नोटिफिकेशन जारी होगा। अब निगम के नए क्षेत्र 412.52 वर्ग किमी में परिसीमन कर वार्डों की संख्या 70 से बढ़कर 85 हो जाएगी। पहले वार्ड संख्या 76 तक रखने की काेशिश थी। रविवार को बदले घटनाक्रम में सांसद आलोक संजर के साथ विधायक रामेश्वर शर्मा, विश्वास सारंग सहित अन्य भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। इन नेताओं ने नगर निगम में वार्ड संख्या 85 करने की अपील की। मुख्यमंत्री ने उनकी मांग से सहमत होते हुए तत्काल अफसरों को 85 वार्ड रखने के निर्देश दे दिए हैं। आखिरकार तीन महीने की मशक्कत के बाद भोपाल नगर निगम में कोलार नगर पालिका और 20 गांवों का विलय हो गया है। राज्य शासन ने विलय के प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुए इसे प्रकाशन के लिए सरकारी प्रेस भेज दिया है। यह सोमवार को राजपत्र में प्रकाशित होगा। विलय के बाद निगम का क्षेत्रफल 285 वर्ग किमी से बढ़कर 412.57 वर्ग किमी हो गया है। निगम का यह क्षेत्र 36 साल बाद बदला है। अब जिला प्रशासन नए क्षेत्र के हिसाब से नगर निगम के वार्डों के परिसीमन की औपचारिक शुरुआत करेगा। सूत्रों के मुताबिक रविवार को भोपाल नगर निगम को 85 वार्डों में बांटे जाने पर सहमति बन गई है। अब निगम में 15 वार्ड और बढ़ जाएंगे। 15 सितंबर तक प्रशासन इस प्रस्ताव का नोटिफिकेशन जारी कर सकता है। विलय के बाद निगम की आबादी 19.23 लाख हो गई है। लिहाजा प्रति वार्ड का एरिया 22 से 23 हजार की आबादी के आधार पर रखा जाएगा। इसके चलते कोलार नपा के मौजूदा क्षेत्र और उसके पास के गांव मिलाकर पांच वार्ड रखे जाएंगे। जबकि गोविंदपुरा, नरेला, दक्षिण-पश्चिम और हुजूर विधानसभा क्षेत्र के बैरागढ़ में भी वार्ड बढ़ाए जाएंगे। मध्य और उत्तर विधानसभा से एक-एक वार्ड कम होने की भी संभावना बन रही है। बीते तीन महीनों में नगर निगम की सीमा का नया आकार तय करने के लिए प्रशासन ने बार-बार अपने प्रस्ताव बदले। प्रारंभिक प्रकाशन से पहले चार बार विलय के प्रस्ताव बदले गए। फिर आपत्तियों की सुनवाई के बाद मुख्यमंत्री सचिवालय का दबाव पड़ा तो एरिया घटाने के लिए भी पांच प्रस्ताव बनाए गए। जिला प्रशासन ने 141 गांवों को शामिल करने वाले प्रस्ताव में 85 वार्ड रखने के हिसाब से तैयारी की थी, लेकिन गांवों की संख्या कम होने पर इसे 80 तक सीमित किया गया। फिर इसे बदलकर 76 वार्ड रखने का फैसला हुआ। अब जनप्रतिनिधियों के दबाव में इसे भी बदल रहे हैं।