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शिवपुरी। शिवपुरी जिले में राठखेड़ा गांव में घटिया शौचालय बनाए जाने के बाद ग्रामीण क्षेत्र के सहरिया आदिवासी इस समय प्रदेश की कमलनाथ सरकार से नाराज हैं। इस गांव में पंचायत द्वारा घटिया शौचालय बनाए जाने के बाद एक शौचालय ढह जाने से दो बच्चों की मौत के बाद आदिवासी परिवारों ने गुरुवार को घटिया शौचालयों को स्वयं ही तोड़ दिया। नाराजगी जताते हुए आदिवासियों ने कहा कि हमने तो पहले ही कहा था कि यह शौचालय घटिया बनाए गए हैं, लेकिन हमारी सुनी नहीं और कहा गया कि एक बार शौचालय बने गए तो अब दोबारा नहीं बनेंगे। प्रदेश सरकार और ग्राम पंचायत के खिलाफ आदिवासियों में उनके घटिया शौचालय बनाए जाने को लेकर आक्रोश है। इस घटिया शौचालय में दबकर जिन आदिवासियों के बच्चे मरे हैं उनके परिजनों ने ही इन घटिया शौचालयों को तोड़ दिया। नाराज आदिवासियों का कहना है कि सरकारी सिस्टम उनके नाम से आने वाले बजट में सेंधमारी कर रहा है।
आदिवासियों ने कहा था कि दोबारा से बना दें लेकिन नहीं बनाए-
इस गांव के भीम आदिवासी ने बताया कि गांव में आदिवासी परिवारों के लिए बनाए गए अधिकतर शौचालयों का निर्माण घटिया हुआ है और गांव वाले इनका उपयोग ही नहीं करते हैं। पिछले दिनों दो बच्चों की मौत हो गई। गांव के हरिलाल आदिवासी ने बताया कि गांव के अधिकतर शौचालयों की स्थिति खराब है। दोबारा से हमने शौचालय बनवाने की मांग की तो कहा कि एक बार बन गए अब दोबारा नहीं बनेंगे। वहीं जिला पंचायत के सीईओ एचपी वर्मा का कहना है कि राठखेड़ा गांव में शौचालय निर्माण में घटिया काम कराए जाने के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन कर दिया है। जांच के बाद जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
क्रियान्वयन एजेंसियों द्वारा भ्रष्टाचार किया जा रहा है-
पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालय के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की अब पोल खुलने लगी है। केंद्र की मोदी सरकार प्रदेश व पंचायतों को गांवों के विकास के लिए राशि भेज रही है लेकिन इसमें क्रियान्वयन एजेंसियों द्वारा भ्रष्टाचार किया जा रहा है। राठखेड़ा गांव में घटिया शौचालय ढह जाने से जिन दो आदिवासी बच्चों की मौत हुई है, उसके पीछे भी शौचालय निर्माण का भ्रष्टाचार एक प्रमुख कारण रहा है। वर्ष 2013 में मर्यादा अभियान अंतर्गत आदिवासियों के लिए शौचालयों का निर्माण किया गया था। गांव को ओडीएफ करने के फेर में नाम के लिए शौचालय तो बना दिए गए लेकिन उनका उपयोग गांव वाले कर ही नहीं पाएं, क्योकि भ्रष्टाचार और कमीशन के फेर में आधा-अधूरा व घटिया काम किया गया।
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