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घेरे में हैं पूर्व सरकार
'संबल' योजना के हितग्राहियों को सरकार ने बिजली बिल में छूट सहित विभिन्न् योजनाओं में सुविधाएं दी हैं। कमलनाथ सरकार आने के बाद जब अपात्रों को लाभ मिलने की शिकायतें सभी जगहों से सामने आई तो श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने इसकी जांच करवाई। अधिकांश नगरीय निकाय और पंचायतों में सत्यापन का काम हो गया है। बताया जा रहा है कि प्रस्तावित अपात्र 75 लाख तीन हजार 294 हैं। इनमें से 71 लाख अपात्रों की पहचान हो चुकी है। जनसंपर्क मंत्री ने आरोप लगाया कि योजना में लाखों की संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं को लाभ दिलाने का प्रयास किया गया। आयकर जमा करने वालों के नाम पात्र की सूची में शामिल किए गए। श्रम विभाग के मुताबिक प्रस्तावित अपात्रों की संख्या 75 लाख से ज्यादा है। जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि अपात्रों के खिलाफ एफआईआर करवाई जाएगी। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पलटवार करते हुए कहा है कि सरकार पात्रों को लाभ नहीं देना चाहती है। यदि घोटाला हुआ है तो ऐसा करने वालों को जेल भेजो, कौन मना कर रहा है।
असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए शिवराज सरकार में लागू मुख्यमंत्री जनकल्याण योजना 'संबल' को लेकर जबरदस्त हंगामा मचा हुआ है। अपात्रों को योजना में लाभ दिए जाने की शिकायत पर कराए जा रहे सत्यापन में बड़ी संख्या में नाम सामने आए हैं। इनमें आयकरदाता और पांच एकड़ से अधिक जमीन के मालिकों के नाम हैं। कुछ भाजपा से भी जुड़े हुए हैं।
श्रम मंत्री सिसोदिया भी कई बार यह दावा कर चुके हैं कि बड़ी संख्या में अपात्र योजना से जुड़े थे। दो सौ रुपए में बिजली का लाभ लाखों हितग्राहियों को दिया गया। करीब पौने सात हजार करोड़ रुपए की सबसिडी ऊर्जा विभाग को दी गई।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने योजना में घोटाले के आरोपों पर मीडिया से चर्चा में कहा कि घोटाला हो गया है तो करने वालों को जेल भेजो, कौन मना कर रहा है। जो करना है करो। सरकार योजना में जो पात्र थे, उनको लाभ नहीं देना चाहती है, इसलिए योजना बंद कर दी। वहीं, पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भी कहा कि अब तक कर्जमाफी नहीं हुई। बिजली के बिल कम नहीं हुए, इसलिए जांच की बात करके जनता को धोखा दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता वाली राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में तीन बार संबल योजना को लेकर चर्चा हो चुकी है। इसका नाम नया सवेरा करने के साथ कुछ योजनाओं में लाभ देना बंद करने का निर्णय भी किया गया है। अपात्रों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है। श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का कहना है कि इस मामले में कैबिनेट में विचार-विमर्श कर निर्णय लिया जाएगा।
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