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एक किताब, एक शिक्षक, एक विद्यार्थी बदल सकते हैं देश-दुनिया की तस्वीर
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शोध परक शिक्षा के प्रणेता थे। उन्होंने भारत के उप राष्ट्रपति और राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों पर रहते हुए भी पूरा जीवन शिक्षकीय दायित्व निभाया। डॉ. राधाकृष्णन का मानना था कि एक किताब, एक शिक्षक और एक विद्यार्थी देश और दुनिया की तस्वीर बदल सकते हैं। इसलिये शिक्षकों का दायित्व है कि वे शिक्षा के मूल उद्देश्यों के साथ विद्यार्थियों को ज्ञान दें। विद्यार्थियों को ज्ञान का समाज हित में अधिक से अधिक उपयोग करने के लिये प्रेरित करें। राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 21 वें स्थापना दिवस और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस समारोह में यह बात कही। राज्यपाल ने डॉ. राधाकृष्णन का स्मरण करते हुए शिक्षकों, छात्रों और कुलपतियों से कहा कि शिक्षा की गुणात्मकता, उपयोगिता और सार्थकता को प्रतिष्ठापित करें।
राज्यपाल ने कहा कि आज हम शिक्षा के मूल स्रोत और उद्देश्य से भटक गये हैं। हजारों साल पुरानी शिक्षण पद्धति को छोड़ अंग्रेजों द्वारा लादी गयी शिक्षा पद्धति का अनुसरण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अब पुरानी नींव पर नया निर्माण कर शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाना होगा। पूर्वजों के अविष्कारों को भारत की समृद्ध ज्ञान परम्परा के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि अभी तक तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में जो कार्य और नवाचार हुए हैं, आपको उससे आगे की यात्रा शुरू करना है, जिससे देश और अधिक समृद्ध तथा खुशहाल हो सके।
यह तकनीकी क्रांति की सदी है - मंत्री श्री बच्चन
तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री श्री बाला बच्चन ने कहा कि पिछली सदी औद्योगिक क्रांति की थी। यह सदी तकनीकी क्रांति की है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने नवाचारों के माध्यम से देश के तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने वर्तमान आश्यकता को देखते हुए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी को बढ़ावा देने की बात कही। साथ ही तकनीक शिक्षा और उद्योगों में समन्वय स्थापित कर रोजगार बढ़ाने की दिशा में प्रदेश सरकार की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
भारत तकनीकी शिक्षा का सबसे बड़ा केन्द्र बनने की ओर अग्रसर
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष श्री एम.पी. पूनिया ने कहा कि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि भारत तकनीकी शिक्षा का सबसे बड़ा केन्द्र बनने की ओर अग्रसर है। देश में प्रतिवर्ष लगभग 37 लाख एडमीशन तकनीकी शिक्षा पाठ्यक्रम में हो रहे हैं। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि आप पर समाज का विश्वास होता है, जिसे कायम रखना आप सभी का दायित्व है। अपने चरित्र को पारदर्शी बनाये रखना और क्लास में पूरी तैयारी के साथ जाने पर ही आप वास्तविक शिक्षक की जिम्मेदारी निभा पायेंगे। उन्होंने छात्र समुदाय से तकनीकी शिक्षा से गांवों के विकास और किसानों की समृद्धि के लिये नवाचार करने का आव्हान किया।
विश्वविद्यालय के कुलपति श्री सुनील गुप्ता ने कहा कि हमारी प्राचीन और वर्तमान ज्ञानार्जन पद्धति में एक बड़ा फर्क हम सभी महसूस कर रहे हैं। तकनीकी विकास के कारण अब ज्ञान प्राप्त करना उतना कठिन नहीं रहा लेकिन आज भी उस ज्ञान का उपयोग देश और समाज हित में करने की जरूरत है।
राज्यपाल श्री टंडन ने विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपतियों का सम्मान किया। राज्यपाल ने परिसर में अमलतास का पौधा भी लगाया।
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