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'अरे भाई, रुपये-पैसे के बिना कोई कैसे अपना जन्मदिन मनाता है? महीने के आखिर में कोई रुपयों की तंगी में कोई अपना जन्मदिन मनाता है क्या भाई? एक नौकरीपेशा आदमी के लिए महीने के आखिरी दिन और तनख्वाह कितनी मायने रखती है? अंटी में रुपया होगा तभी तो जन्मदिन बेहतर मनेगा, इसलिए ऐसा करते है कि अब हम अपना जन्मदिन हर साल एक सितंबर को ही मनाया करेंगे, 27 सितंबर को नहीं।' यह बात हिंदी के प्रख्यात गजलकार दुष्यंत कुमार 'त्यागी'अपनी पत्नी राजेश्वरी से कहा करते थे। वे बताती है कि दुष्यंत जी का वास्तविक जन्मदिन एक सितंबर 1933 नहीं है, जबकि वे अपना जन्मदिन एक सितंबर को ही मनाते थे। दरअसल, सरकारी नौकरीपेशा दुष्यंत जी की तनख्वाह एक तारीख को आती थी। लिहाजा, उन्होंने तय किया कि वे अपना जन्मदिन एक सितंबर को ही मनाएंगे। वह अपना जन्मदिन ताउम्र इस दिन मनाते रहे, जबकि उनका वास्तविक जन्मदिन 27 सितंबर 1931 है। हालांकि, सरकारी हाईस्कूल के सर्टिफिकेट में अंकित जन्मतिथि को बदलना आसान नहीं था। सरकारी सेवा में रहने वालों के लिए तो और भी नहीं। लिहाजा, उनकी जन्मतिथि सरकारी दस्तावेजों में 1 सितंबर 1933 ही दर्ज है।
इस रोचक तथ्य को जानकर भले ही दुष्यंत कुमार त्यागी के प्रशंसक और हिंदी साहित्य के जानकार चौके, लेकिन यही वास्तविकता है। दुष्यंत कुमार का जन्मदिन एक सितंबर 1933 को नहीं, बल्कि 27 सितंबर 1931 को होता है। इस तथ्य की पुष्टि आलोचक विजयबहादुर सिंह द्वारा संपादित 'दुष्यंत कुमार रचनावली' में भी दुष्यंत कुमार के वास्तविक जन्मदिन की जानकारी 27 सितंबर 1931 होना प्रकाशित किया गया है। शोधार्थी छात्रों के रिसर्च में यह तथ्य उभर कर सामने आया कि दुष्यंत कुमार का जन्मदिन 27 सितंबर 1931 को हुआ था। कवि ने अपने जीवनकाल में प्रकाशित कृतियों पर जो जन्मतिथि विज्ञापित की है वह 1 सितंबर 1933 की है। इसका एक बुनियादी और अनिवार्य कारण वे स्कूली दस्तावेज है, जहां दुष्यंत की जन्मतिथि 1 सितंबर 1933 दर्ज है। रचनावली में प्रकाशित जानकारी के मुताबिक दुष्यंत कुमार की राजो भाभी यानी श्रीमती राजेश्वरी त्यागी इस प्रसंग पर उल्लेख कर बैठती है कि 27 सितबंर वाली तिथि को कवि दुष्यंत 1 सितंबर करने के पक्ष में कैसा रोचक तर्क दिया करते थे। कहते कि 'महीने की 27 तारीख तक जेब खाली हो जाती है। इसलिए जन्मदिन खुशियां तो पहली तारीख को मिले तो वेतन पर ही मनाई जा सकती है।'
-सरकारी दस्तावेजों में एक सितंबर ही दर्ज
हिंदी के प्रख्यात आलोचक विजयबहादुर सिंह कहते है कि सरकारी दस्तावेजों में दुष्यंत कुमार की जन्मतिथि एक सितंबर ही दर्ज है। चूंकि इस तिथि में उस दौर में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता था, इसलिए जन्मतिथि यही रखी गई, जबकि दुष्यंत कुमार का वास्तविक जन्मदिन 27 सितंबर 1931 को जन्मकुंडली में अंकित है। इस तथ्य की पुष्टि उनके सुपुत्र आलोक कुमार त्यागी ने भी की है। गौरतलब है कि दुष्यंत कुमार का जन्म भले ही उत्तर प्रदेश के ग्राम राजपुर (बिजनौर) में हुआ था, लेकिन उनकी कर्मभूमि भोपाल रही है।
-दुष्यंत कुमार के साहित्य पर शोध कर रही छात्रा
वर्तमान में अलीगढ़ विश्वविद्यालय की स्टूडेंट प्रीति कुमारी दुष्यंत कुमार पर पीएचडी कर रही हैं। उनके शोध का विषय 'दुष्यंत कुमार के साहित्य में व्यवस्था की आलोचना' है। प्रीति ने नवदुनिया को बताया कि मैं किसी नए टॉपिक पर रिसर्च करना चाहती थी। इसके लिए मैंने मिथक को चुना था। मिथक पर सर्चिंग के दौरान मुझे दुष्यंत कुमार के साहित्य की जानकारी मिली। हालांकि, इसके पहले मैं दुष्यंत कुमार को एक गजलकार के रूप में जानती थी। फिर मेरे गाइड ने दुष्यंत कुमार पर ही रिसर्च की सलाह दी। प्रीति ने बताया कि मेरे रिसर्च की सामग्री दुष्यंत कुमार के पद्य में तो है पर गद्य में व्यवस्था की आलोचना देखने को नहीं मिलती। दुष्यंत संग्रहालय जिस पत्रिका (सारिका) के अंक की खोज में आई थी, वह यहां मिल गई। प्रीति ने बताया की 1 सितंबर 1933 दुष्यंत का वास्तविक जन्मदिन नहीं है। उनका जन्म 1931 में हुआ था। अलीगढ़ विवि से रांची की छात्रा खुशी कुमारी भी दुष्यंत कुमार पर एमफिल कर रही हैं।
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