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मध्य प्रदेश के विवादास्पद आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा फिर से विवादों में फंसते दिख रहे हैं। साल 2016 में एक महिला ने लसूड़िया थाने में उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था। महिला का आरोप है कि संतोष वर्मा ने शादी का झूठा वादा करके उसे गुप्त रूप से विवाह किया, विरोध करने पर मारपीट की और दो बार जबरन गर्भपात करवाया। इसके साथ ही महिला ने यह भी आरोप लगाया कि बालाघाट, सीहोर, राजगढ़ और उज्जैन में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने अवैध संबंध बनाए रखे।
इस मामले में और गंभीर मोड़ तब आया जब महिला ने आरोप लगाया कि संतोष वर्मा ने 6 अक्टूबर 2020 का फर्जी कोर्ट ऑर्डर बनवाया, जिसमें तत्कालीन जज विजयेन्द्र सिंह रावत के हस्ताक्षर और कोर्ट का सील था। लेकिन उस दिन जज छुट्टी पर थे, जिससे इस ऑर्डर की असलियत पर सवाल उठे। बाद में जज को निलंबित कर शहडोल जिले के बुरहार में स्थानांतरित कर दिया गया। इसके अलावा, 27 जून 2021 को एमजी रोड थाने में दर्ज एक अन्य मामले में कोर्ट सील तो थी, लेकिन हस्ताक्षर अपठनीय और मूल रिकॉर्ड गायब पाया गया।
संतोष वर्मा हाल ही में आरक्षण के मुद्दे पर ब्राह्मणों के खिलाफ विवादित बयान देकर भी सुर्खियों में आ चुके हैं। अब हाईकोर्ट की मंजूरी के बाद पुलिस पूरे मामले की गहन जांच शुरू करेगी। सूत्रों के अनुसार, अगर जांच में संतोष वर्मा की संलिप्तता साबित होती है तो उनकी पदोन्नति प्रभावित होने के साथ-साथ नौकरी पर भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
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