अनुराग उपाध्याय
कौन बनेगा मध्यप्रदेश का मुख्यसचिव ?यह सवाल सरकार को हल करना है। सरकार माने मुख्यमंत्री।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। लेकिन सरकार पसोपेश में है ,असमंजस में हैं। सरकार चाहती है कि उन के क़रीबी इक़बाल सिंह बैस मध्यप्रदेश के नए मुख्यसचिव हों लेकिन एक अन्य ias अफसर एस आर मोहंती [सुधि रंजन ] ने भोपाल से दिल्ली तक आपने घोड़े लॉबिंग के लिए दौड़ा रखे हैं और तमाम विरोधों के बाद भी वे खुद को इस रेस में सबसे आगे बनाये हुए हैं ।
पहले बात करें मुख्यसचिव के लिए तयशुदा फार्मूले की। इस पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1982 से 1984 के बीच के किसी अफसर को मुख्यसचिव बनाया जाना चाहिए। नियमों और कायदों के हवाले अगर मध्यप्रदेश है तो इकबाल सिंह बैंस का पत्ता इस आधार पर ही कट जाना चाहिए कि उनसे सीनियर और ज्यादा योग्यता और अनुभव वाले अफसर इस पद के लिए कतार में हैं। बैंस और मोहंती को किनारे कर भी दें तो कई अफसरों की सीधी दावेदारी है,वे भी खम ठोक कर मैदान में हैं । 1982 बैच के राकेश अग्रवाल, अरुणा शर्मा ,सुरंजना रे ,जे एस माथुर, स्नेहलता श्रीवास्तव ,एस आर मोहंती और राघव चंद्रा जैसे अफसरों के नाम हैं। इनमे भला कौन सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठना नहीं चाहेगा ।
इन सब में भी अरुणा शर्मा मुख्यसचिव के पद के लिए सर्वथा उपयुक्त मानी जा रही थीं , लेकिन वे पिछले दिनों केन्द्र में सचिव के पद पर डेपुटेशन पर चली गईं ,सरकार अगर उन्हें मुख्यसचिव बनाना चाहे तो उनकी वापसी भी संभव हैं । लेकिन अरुणा शर्मा सरकार की पहली पसंद नहीं हैं । इसी बैच के राकेश अग्रवाल का रिटायरमेंट जून में और सुरंजना रे की विदाई जुलाई में है, इस वजह से ये दोनों अफसर ऐसा सपना नहीं देख सकते हैं । बैच के बाकि बचे अधिकारी जे एस माथुर, राघवचंद्रा और स्नेहलता श्रीवास्तव केन्द्र में पहले से ही डेपुटेशन पर हैं।स्नेहलता भी इस पद के लिए एक उपयुक्त नाम है लेकिन इनकी जुगाड़ भी सरकार में नहीं है। 1983 बैच से एकमात्र नाम मनोज गोयल का हैं ,शिवराज सरकार में ये हाशिये पर रहे हैं ,1983 के बाकि अफसर रिटायर हो चुके हैं। गोयल का रिटायरमेंट जून 2019 में है लेकिन वे सरकार की पसंद नहीं हैं।
1984 बैच के बीपी सिंह सबसे वरिष्ठ है होने के साथ एक बेहतरीन अफसर है वे मुख्यसचिव मटेरियल भी हैं लेकिन जुलाई 2018 में उनका रिटारयमेंट है और नवम्बर 2018 में विधानसभा चुनाव है इसलिए सरकार कोई रिस्क लेना नहीं चाहती। सरकार ऐसा कोई टेंशन लेने के मूड में नजर नहीं आ रही कि चुनाव से तीन महीने पहले वो फिर नया मुख्यसचिव तलाशे। सरकार अगर दम दिखाए तो बी पी सिंह से बेहतर कोई और नजर नहीं आता। 1984 बैच के बचे हुए अफसर हैं विजया श्रीवास्तव, रश्मि शुक्ला शर्मा ,जयदीप गोविंद और आलोक श्रीवास्तव केन्द्र में डेपुटेशन पर हैं। इस बैच के पीसी मीणा और एपी श्रीवास्तव दो और अफसर भी हैं लेकिन इनकी ताजपोशी मुख्यसचिव के पद पर हो इसके आसार कम हैं।
अब बात उन दो किरदारों की जो मुख्यसचिव की कुर्सी तक पहुंचना चाहते हैं और इसके लिए प्रयासरत भी हैं। 1985 बैच के इकबाल सिंह इस समय मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव है और 1982 बैच के एस आर मोहंती वर्तमान में स्कूल शिक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के अपर मुख्यसचिव पद पर , इन दोनों अफसरों की अपनी अपनी खूबियां और कमियां हैं इकबाल सिंह की पहली खूबी मुख्यमंत्री का सबसे ख़ास और नजदीकी होना ,अपनी क्षमताओं से ज्यादा काम करके उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ आईएएस अफसरों के एक वर्ग को अपना मुरीद बना लिया है। वही इनकी सबसे बड़ी कमी हैं इनका व्यवहार। चाहे अफसर हों या आमआदमी कोई भी इनके व्यवहार और कार्य से संतुष्ट नजर नहीं आता। लेकिन मुख्यमंत्री के करीबी होने की वजह से इनकी इस सबसे बड़ी कमी पर पर्दा पड़ा रहता है।सरकार अगर बैंस को मुख्यसचिव बनाना चाहती है तो उसे प्रशासनिक तौर पर तमाम उधेड़बुन करने के साथ कई अपनों के कोप का भाजन भी बनना पडेगा। बीजेपी नेताओं का एक बड़ा वर्ग भी इकबाल सिंह की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में विपक्ष भी सरकार को निशाने पर लेगा। लेकिन जब बात सरकार की पसंद की है तो कुछ भी हो सकता है। लेकिन आईएएस अफसरों का एक वर्ग ऐसा होने पर कुछ ऐसे कागजात बाहर लाने की तैयारी में भी है जो सरकार के लिए मुसीबतों का सबब बन सकता है। सरकार को अपने की इन कुछ नाखुश बीजेपी और संघ के करीबी अफसरों को भी इकबाल सिंह बैंस की खातिर साधना पडेगा।
मप्र कैडर के 1982 बैच के अधिकारी एसआर मोहंती मोहंती की लम्बे समय से मुख्यसचिव के पद पर पहुँचने की लालसा रही है ,एक ज़माने में मोहंती दिग्विजय सिंह के काफी करीबी रहे हैं। लेकिन सरकार बदली तो मोहंती ने खुद को बदला और ''योग '' और ''भारतीय दर्शन'' के जरिये इस सरकार में भी अपनी पैठ जमाई। मोहंती की एक खूबी है कि वे मिलनसार हैं और कुछ करने से पहले दूसरे को भी सुनते हैं। लेकिन आईएएस अफसर ही उन्हें लेकर दो भागों में बंट गए हैं। उनके विरोधी अफसरों का एक बड़ा समूह उनके खिलाफ है ,यही वजह है कि आईसीडीएस घोटाले में उनके नाम को लेकर फाइलें मीडिया हाउसों से लेकर पीएमओ तक पहुंचाई गई हैं ताकि कहीं मोहंती मुख्यसचिव न बन जाएँ । लेकिन मध्यप्रदेश सरकार की नजरें मोहंती पर इनायत हैं। संघ और बीजेपी के बुद्धिजीवी मोहंती को ''भला आदमी ''मानते हैं और कहते हैं मोहंती के पास भी समय बहुत है उन्हें 2020 में रिटायर होना है।
अंटोनी डिसा के बाद कौन ? बैंस और मोहंती के नामों पर सर्वाधिक चर्चा है ,दोनों अफसरों ने अपने अपने तरीके से खुद की जमावट के साथ अपने दिल्ली तक के संपर्कों को टटोलना शुरू कर दिया है। एक दूसरे के खिलाफ कारनामों और करारनामों तक सब कुछ बेपर्दा होने की आशंकाओं के बीच सरकार मंथन कर रही है। वो भी इस उम्मीद में की इस मंथन के बाद जो जहर निकलेगा उसे किसी के गले में डाल दिया जाएगा और अमृत के भागी को मुख्यसचिव बना दिया जाएगा। लेकिन सरकार मंथन में भी मध्यमार्ग की प्राप्ति करना चाहती है जिससे उसका इकबाल बना रहे।
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