Advertisement
जलस्त्रोत में किसी भी बच्चे के डूबने की सूचना, उनके दिल में लगे जख्म को हरा कर देती है। किसी भी हादसे के बाद बयान यही आता है कि बच्चे मानते ही नहीं? लापरवाही करते हैं? नशे की हालत में कुछ सोचते ही नहीं? जब तक 'बड़ों' की और प्रशासन की सोच ऐसी रहेगी हादसे होते रहेंगे। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए 'फूल प्रूफ' (शरारत करने, अनजाने में भी हादसे से बच सकें) योजना बनाने की जरूरत है।
भोपाल में तीन वर्ष पहले अपने इकलौते बेटे मंदार को केरवा डैम पर बने 'मौत के कुएं' में खोने वाले विश्वास घुषे कोलार डैम क्षेत्र में 6 युवाओं के कार सहित डूबने की घटना से काफी आहत हैं। बेटे की मौत (21 मार्च 2015) के दो दिन बाद ही मंदार के पिता ने केरवा डैम के उस कुएं के मुंह को हमेशा के लिए बंद करने का बीड़ा उठा लिया।
संकल्प लिया कि अब बस! अब और नहीं। साथ ही मंदार एंड नो मोर मिशन की शुरुआत हुई। पानी के बहाव को रोकने वाली मिट्टी और झाड़ियों को हटाकर नाले बनाकर वहां का जल स्तर खतरनाक स्तर तक उठने से रुक गया। जलाशय के ढलान भरे तल को समतल बनाया गया। यह सारे काम बिना किसी सरकारी मदद के किए। नेटवर्क के लिए वहां बीएसएनएल का टावर लगाया गया, उसे मंदर टॉवर के नाम से जाना जाता है। विश्वास घुषे ने बताया कि प्रयास के सकारात्मक नतीजे सामने हैं। मंदार के पहले 'मौत का कुआं' करीब 175 लोगों को लील चुका था। लेकिन, वहां पर हुए ऐहतियात के इंतजाम के बाद से अब तक कोई हादसे की सूचना नहीं है।
विश्वास घुषे का सवाल है, कि बड़ा तालाब में भी अथाह जल राशि है, लेकिन वहां इस तरह डूबने के मामले कम ही आते हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि बड़ा तालाब के आसपास इस तरह की परिस्थितियां नहीं हैं, जैसे कोलार, कलियासोत, केरवा, महादेव पानी, हताईखेड़ा जैसे जलाशयों के आसपास हैं। जिम्मेदार एजेंसियों को चाहिए कि वे हर उस स्थान को चिन्हित करे, जिनके कारण हादसा होता है। इसके बाद उस समस्या का स्थाई हल करें ताकि हादसे की संभावना ही खत्म हो जाए।
Kolar News
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.
Created By:
![]() |