Advertisement
अनूपपुर । सनातन धर्म में हर महीने पड़ने वाली पूर्णिमा का महत्व होता है, लेकिन कार्तिक मास की पूर्णिमा विशेष मानी जाती है। यह मास भगवान विष्णु की उपासना करने के लिए कार्तिक मास को उत्तम बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने से बड़े-बड़े यज्ञों को करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है।
कार्तिक मास के अंतिम दिवस बुधवार काे कार्तिक पूर्णिमा पर मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित अमरकंटक के नर्मदा उद्गम सहित जिले भर की नदियों सोन, तिपान, चंदास, केवई सहित अन्य नदियों और सरोवरों पर श्रद्धालुओं ने स्नान कर दीप दान भी किए, साथ ही मंदिरों में दर्शन कर दान किया। वहीं एक मास तक चलने वाले कार्तिक माह का समापन बुधवार को हो गया।
इसी पूर्णिमा के दिन सिखों के पहले गुरु नानक जी का जन्म हुआ था, जिसे विश्वभर में गुरु नानक जयंती के नाम से मनाया जाता है। इस जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व भी कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा और गंगा स्नान की पूर्णिमा भी कहते हैं। बताया जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसी वजह से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसी के साथ कार्तिक पूर्णिमा की शाम भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार उत्पन्न हुए थे।
कल्यायण आश्राम के प्रमुख हिमान्द्री मुनी महाराज ने बताया कि कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा के दिन कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा और व्रत करने से घर में यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान और पवित्र नदियों स्नान का महत्व है। साथ ही गंगा सहित नर्मदा,सोन जैसी पवित्र नदियों में स्नान के बाद किनारे दीपदान करने से दस यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है। कार्तिक मास की पूर्णिमा को दीप जलाने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। घर में धन, यश और कीर्ति आती है। इसीलिए इस दिन लोग विष्णु जी का ध्यान करते हुए मंदिर, पीपल, चौराहे या फिर नदी किनारे दियें जलाते हैं। दीप विशेष रूप से मंदिरों से जलाए जाते हैं। इस दिन मंदिर दीयों की रोशनी से जगमगा उठता है। दीपदान मिट्टी के दीयों में घी या तिल का तेल डालकर करतें हैं।
अमरकंटक के रामघाट सहित अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्थाल की डुबकी
कार्तिक पूर्णिमा के अंतिम दिवस पर अमरकंटक के नर्मदा उद्गम सहित जिले भर की नदियों सोन, तिपान, चंदास, केवई सहित अन्यि नदियों सरोबरों पर श्रद्धालुओं ने स्नान कर दीप दान भी किए, साथ ही मंदिरों में दर्शन कर दान किया। इस अवसर पर छग के श्रद्धालुओं की संख्या अधिक रहीं। वहीं एक मास तक चलने वाले कार्तिक माह का समापन आज हो गया। श्रद्धालुओं ने शिवालयों में पूजा अर्चना कर दीप जालायें, नदियों में दीपदान किया।
जिला मुख्यालय अनूपपुर में लोगों ने सोन नदी सहित अन्यं नदियों में कार्तिक पूर्णिमा पर स्नानन किया। वहीं आज के दिन घाटों पर स्नान करने और दीप दान करने का काफी ज्यादा महत्त्व माना गया है। इसलिए इस दिन लोगों ने दान कर घाटों पर दीप दान भी किए गए। बता दे, कार्तिक पूर्णिमा से पहले बैकुंठ चतुर्दशी के दिन सिद्धवट घाट पर हजारों भक्तों ने स्नान किया था। साथ ही सिद्धवट पर दूध भी अर्पित किया गया।
नर्मदा के तट पर श्रद्धालुओं ने लगाई पुण्य स्नान की डुबकी, दीपदान कर किया पूजन-अर्चन
पवित्र नगरी अमरकंटक में बुधवार को कार्तिक मास की पूर्णिमा पर आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। पतित पावनी पुण्यसलिला मां नर्मदा के कोटि तीर्थ, कुंड एवं रामघाट में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।भोर की पहली किरण के साथ ही भक्तों द्वारा पुण्य स्नान, पूजन-अर्चन और दीपदान का क्रम प्रारंभ हो गया। श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा उद्गम स्थल परिसर में दर्शन कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मन्नत मांगी। घाटों पर दीपों की जगमगाहट और श्रद्धा से भरे स्वर वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार कर रहे थे। नर्मदा मंदिर में भी भक्तगण भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना कर रहे हैं। दर्शन के लिए श्रद्धालु कतारबद्ध होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा में हैं। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु अमरकंटक पहुंचे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, भगवान भोलेनाथ और कार्तिकेय देव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन किया गया स्नान, दर्शन और दीपदान अत्यंत फलदायी और शुभ फल प्रदान करने वाला माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा के इस पुण्य पर्व पर अमरकंटक के घाटों, मंदिरों और मार्गों में भक्ति और उत्सव का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। वहीं श्रद्धालुओं ने नर्मदा कुंड एवं रामघाट तट में दीपदान कर कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र पुण्य का लाभ लिया। वही अबतक लगभग 50,000 से भी अधिक श्रद्धालुओं ने मॉ नर्मदा में स्नान और दर्शन पूजन का लाभ लिया।
गुरु नानक देव का 556वां जन्मोत्सव
अनूपपुर में नगर पालिका वार्ड नंबर 3 स्थित गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में गुरु नानक देव की 556वां जन्मोत्सव शबद कीर्तन और अरदास के साथ आरम्भ हुआ। जिसमें नगर के सिक्ख और सिंधी सम्प्रदाय के लोगों ने गुरूद्वारा पहुंचकर कर गुरू की याद में गुरु सिंहसभा के सामने मत्था टेका साथ ही गुरूवाणी के साथ शबद कीर्तन और अरदास किया। अरदास प्रसाद वितरण व गुरू का लंगर लिया।
Kolar News
|
All Rights Reserved ©2025 Kolar News.
Created By:
Medha Innovation & Development |