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मिग-21 विमान की हवाई बेड़े से विदाई
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नई दिल्ली । भारत के आसमान पर 62 साल तक राज करने और पाकिस्तान के साथ तीन युद्ध लड़ने वाले मिग-21 विमान ने आज आखिरकार वायु सेना के हवाई बेड़े से विदाई ले ली। अपनी आखिरी उड़ान के साथ इस विमान को केवल शौर्य और पराक्रम की गाथा के लिए ही नहीं बल्कि इसे सबसे अधिक पायलटों की मौत के लिए भी याद किया जायेगा। मिग-21 को चंडीगढ़ एयरबेस से विदाई दिए जाने के बाद अब वायु सेना की नयी ताकत के रूप में स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1 ए इसकी जगह लेगा।
 
भारतीय वायु सेना के बेड़े में मार्च, 1963 में शामिल हुआ पहला सुपरसोनिक विमान मिग-21 अब 60 साल पूरे कर चुका है। देश की सेवा में 50 वर्षों तक रहने के बाद 11 दिसम्बर, 2013 को इसे रिटायर कर दिया गया। हालांकि, 1970 के बाद से मिग-21 सुरक्षा के मुद्दों से इस कदर त्रस्त हो चुका था कि दुर्घटनाओं में 170 से अधिक भारतीय पायलट और 40 नागरिक मारे गए। 1966 से 1984 के बीच 840 विमानों में से लगभग आधे दुर्घटनाओं में क्रैश हो गए। इन विमानों में से अधिकांश के इंजनों में आग लग गई या फिर छोटे पक्षियों से टकरा कर नष्ट हुए। मिग-21 के लगातार दुर्घटनाग्रस्त होने पर इसे 'उड़ता ताबूत' कहा जाने लगा था।
 
अपनी फुर्ती, सटीक हमलों और तेज गति के कारण पायलटों की पहली पसंद रहे मिग-21 को बाद में मिग-21 बाइसन के रूप में अपग्रेड किया गया।रूसी कंपनी ने 11,496 मिग-21 विमानों का निर्माण करने के बाद अपने आखिरी मिग-21 को मिग बाइसन के रूप में 1985 में अपग्रेड किया था। इस परिष्कृत मॉडल में पहले वाले मिग-21 वेरिएंट की कई कमियों को दूर किया गया था। रूसी कंपनी ने भारतीय वायु सेना के पास बचे 54 मिग-21 विमानों को भी मिग-21 बाइसन के रूप में अपग्रेड किया। इसके बाद वायु सेना का मिग-21 अपग्रेड होकर 'मिग-21 बाइसन' हो गया, जो आज तक देश की सेवा कर रहे थे।
 
वायु सेना के लड़ाकू विमानों के बेड़े में शामिल मिग-21 ने हर छोटे-बड़े सैन्य अभियान में दुश्मन को पस्त कर आकाश में अपनी धाक जमाई। वर्ष 1963 में लड़ाकू बेड़े में शामिल किये जाने के दो वर्ष बाद ही मिग-21 ने सबसे पहले 1965 की भारत-पाकिस्तान लड़ाई में अपने जौहर दिखाये और दुश्मन की कमर तोड़ दी। इसके बाद 1971 की लड़ाई में इसने ढाका में राजभवन को निशाना बनाकर पाकिस्तान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया। उसके बाद कारगिल युद्ध के दौरान भी दुश्मन को खदेड़ने में इसने अग्रणी और महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। मिग-21 ने अपने सेवाकाल में वायु सेना के लिए हजारों प्रशिक्षित पायलट तैयार करने में भी अग्रणी भूमिका निभाई।
 
आखिरी बार मिग-21 तब सुर्ख़ियों में आया, जब 27 फरवरी, 2019 में की गई बालाकोट एयर स्ट्राइक के जवाब में पाकिस्तानी वायु सेना की कार्रवाई का मुकाबला करते समय विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान ने इसी विमान से पाकिस्तानी वायु सेना के अत्याधुनिक अमेरिकी लड़ाकू विमान एफ-16 को गिरा दिया था लेकिन पाकिस्तान इससे इनकार करता है। इसी दौरान उनके मिग-21 को भी गोली मार दी गई, जिसकी वजह से विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान पैराशूट से नीचे उतरे। पाकिस्तानी क्षेत्र में लैंड करने के कारण पाकिस्तानी सेना ने उन्हें बंदी बना लिया लेकिन कूटनीतिक दबावों के बाद उन्हें चंद दिन बाद रिहा करना पड़ा।
 
वायु सेना के हवाई बेड़े का हिस्सा बनकर छह दशकों में मिग-21 ने अपनी ताकत, फुर्ती और सटीक हमलों से भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता और उसकी शक्ति को नया आयाम दिया है। मिग-21 के सेवानिवृत्त होने के बाद वायु सेना के पास लड़ाकू विमानों की 29 स्क्वाड्रन बचेंगी, जबकि जरूरत 42 की है। मिग-21 की विदाई के ठीक एक दिन पहले लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने 25 सितंबर को भारतीय वायु सेना के लिए 97 एलसीए मार्क-1ए लड़ाकू विमानों का ऑर्डर एचएएल को दे दिया है। अब एचएएल वायु सेना के लिए कुल 180 एलसीए तेजस का उत्पादन करना है। आने वाले समय में नए स्वदेशी विमान एलसीए तेजस एमके-1 और एमके-2 वायु सेना की कम हुई स्क्वाड्रन की भरपाई करेंगे।
Kolar News 26 September 2025

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