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गांधी सागर अभयारण्य में मादा चीता धीरा को सफलतापूर्वक छोड़ा
bhopal, Female cheetah Dheera ,successfully released
भोपाल । मध्य प्रदेश में केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना चीता में बुधवार को एक और ऐतिहासिक उपलब्धि जुड़ गई, जब कूनो राष्ट्रीय उद्यान की लगभग 7.5 वर्ष की मादा चीता 'धीरा' को वन विभाग के अधिकारियों ने गाँधी सागर अभयारण्य में सफलतापूर्वक छोड़ा।
 
दरअसल, चीता परियोजना को बुधवार को सफलतापूर्वक तीन वर्ष पूर्ण हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस परियोजना के तहत 2022 में अपने जन्मदिन के अवसर पर नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को कूनों राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा था। इसके बाद कूनो में चीतों का कुनबा बढ़ा और अब गांधीसागर भी चीतों की स्थायी बसाहट का केंद्र बन रहा है। तीन वर्ष बाद फिर प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर प्रदेश के गांधीसागर वन्य जीव अभ्यारण्य में कूनो अभ्यारण्य से लाए गए मादा चीता 'धीरा' को छोड़ा गया है।
 
प्रधान मुख्य वन संरक्षक शुभरंजन सैन ने बताया कि मादा चीता धीरा को बुधवार सुबह कूनो राष्ट्रीय उद्यान से रवाना किया गया। इस अभियान में वन विभाग की पशु चिकित्सा टीम, फील्ड स्टॉफ और वरिष्ठ अधिकारियों ने पूरी प्रक्रिया की बारीकी से निगरानी की। मादा चीता 'धीरा' अपने परिवहन क्रेट में शांत, किन्तु सतर्क थी। धीरा ने लगभग सात घंटे की यात्रा एक विशेष वातानुकूलित वाहन में पूरी की। पूरी यात्रा के दौरान उसकी सेहत और सुरक्षा पर कड़ी निगरानी रखी गयी। दोपहर दो बजे धीरा को गांधी सागर अभयारण्य लाया गया।
 
गाँधी सागर अभयारण्य में जब क्रेट का दरवाजा खोला गया, तो धीरा ने कुछ क्षण रुककर अपने नये परिवेश को देखा और अपने नये घर की भूमि पर फुर्ती से छलांग लगाते हुए पहला कदम रखा। जाली से बाहर निकलते ही चीता धीरा तेजी से भागी, जिसे वन विभाग की टीम ने कैमरे में कैद किया। वन विभाग ने धीरा को नए वातावरण में ढलने के लिए पर्याप्त शिकार और विशेष बाड़े में रखा है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक सैन ने बताया कि यह पुनर्वास भारत में चीता आबादी के विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
 
गौरतलब है कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान से पूर्व में भी दो नर चीतों का पुनर्वास गाँधी सागर अभयारण्य में किया गया था। मादा चीता का पुनर्वास होने से यह एक सक्षम प्रजनन आबादी का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह परियोजना की दीर्घकालिक सफलता के लिये अत्यंत आवश्यक है। यह घटना केवल एक जानवर का पुनर्वास नहीं थी, बल्कि एक सपने की निरंतरता थी। भारत की अपनी खोयी हुई प्राकृतिक धरोहर को पुनर्स्थापित करने की प्रतिबद्धता और 'टीम चीता' के प्रत्येक सदस्य के लिये गौरव का क्षण था।

 

 

Kolar News 18 September 2025

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