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भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (बीएससीडीसीएल) द्वारा तैयार किए गए ग्रीन एंड ब्लू मास्टर प्लान के ड्राफ्ट में घटते हरियाली चौकाने वाला तथ्य सामने आया है। प्लान में बताया गया है कि वर्ष 1977 में 92 फीसदी हिस्से में हरियाली थी। वर्ष 1992 में यह 66 प्रतिशत रह गई। बीते 26 साल में शहरीकरण से इसमें 44 फीसदी की कमी आई। फिलहाल शहर के 22 प्रतिशत क्षेत्र में ग्रीन कवर है। यह राष्ट्रीय प्रतिशत से ज्यादा है, लेकिन, 2030 तक यह चार फीसदी रह जाएगा। जो कि केंद्र के 15 प्रतिशत के पैरामीटर से काफी कम होगा।
रिपोर्ट में बताया गया कि शहर में कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन वर्ष 2007-08 में 0.74 मिलियन था। इसका 80 फीसदी उत्सर्जन रहवासी, व्यवसायिक व परिवहन सेक्टर से हो रहा है। वर्ष 2035 तक यह तीन गुना बढ; जाएगा। इस पर लगाम कसने के लिए 2036 तक भोपाल के सभी मकानों, भवनों को ग्रीन बिल्डिंग बनाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2021-2050 के बीच प्रदेश में अधिकतम तापमान 1.8 से दो डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
बुधवार को आईटीपीआई में आयोजित कार्यशाला में ग्रीन ब्लू मास्टर प्लान को अंतिम रूप देने के लिए सुझाव लिए गए। कार्यशाला में भोपाल सिटीजन फोन सहित टाउन एंड कंट्री प्लानिंग सहित अन्य एजेंसियों के अधिकारियों ने अपने सुझाव दिए। चीफ प्लानर वीपी कुलश्रेष्ठ सहित केपीएमजी कंपनी के प्रतिनिधियों ने सवालों के जवाब दिए। कार्यक्रम में बीएससीडीसीएल के सीईओ संजय कुमार भी मौजूद थे।
मुख्य रूप से छह बिंदुओं को शामिल किया गया है। इसमें ग्रीन कवर यानी हरियाली, ब्लू कवर जल स्त्रोतों, बिल्डिंग, वेस्ट मैनेजमेंट, परिवहन और पानी शामिल हैं। 7.5 करोड़ रुपए से कलियासोत, जहांगीराबाद, लहारपुर, लहारपुर नाला, हताईखेड़ा, बड़ा तालाब पातरा नाला को ग्रीन कॉरीडोर के तौर पर विकसित करने पर जोर दिया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर स्मार्ट सिटी की इमारत को कार्बन न्यूट्रल बिल्डिंग बनाने, ग्रीन बिल्डिंग मटेरियल की टेस्टिंग, सर्टिफिकेट देने के लिए स्मार्ट सिटी लैब की स्थापना करने कहा गया है।
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