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मुख्यमंत्री निवास पर हुआ लोकतंत्र सेनानियों का प्रादेशिक सम्मेलन
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भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि लोकतंत्र भारतीय सभ्यता और संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह केवल एक शासन प्रणाली नहीं, बल्कि हमारी जीवनशैली की आत्मा और पहचान है। लोकतंत्र भारतीय जनमानस में पुराकाल से रचा-बसा है और इसकी जड़ें हमारी परंपराओं में गहराई तक फैली हुई हैं। उन्होंने लोकतंत्र सेनानियों के हित में घोषणा करते हुए कहा कि अब 70 साल से अधिक आयु के सभी लोकतंत्र सेनानियों को आयुष्मान कार्ड के माध्यम से नि:शुल्क इलाज और आवश्यकता पड़ने पर पीएम एयर एम्बुलेंस की सुविधा भी दी जाएगी।
 
मुख्यमंत्री गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास में लोकतंत्र सेनानियों के प्रादेशिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने लोकतंत्र की मजबूती में लोकतंत्र सेनानियों के अमूल्य योगदान की सराहना करते हुए कहा कि हमारा वर्तमान लोकतंत्र उनके अनथक संघर्ष और बलिदान का ही परिणाम है। आज हम एक मजबूत और जवाबदेह लोकतांत्रिक व्यवस्था में जीवन व्यतीत कर रहे हैं, इसके मूल में लोकतंत्र सेनानी ही हैं। लोकतंत्र शासन को जवाबदेह बनाता है, नागरिकों को अधिकार देता है और प्रत्येक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है। लोकतांत्रिक प्रणाली ही हमारी विविधता में एकता को बनाए रखने का आधार है। 
 
मुख्यमंत्री ने सभी का आह्वान किया कि लोकतंत्र की इस विरासत को आगे बढ़ाना हम सबका नैतिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। दुनिया हमारी ओर हैरत से देखती है कि यहां लोकतंत्र की जड़ें कितनी गहरी हैं। भारत देश सच्चे अर्थों में लोकतंत्र का जनक है। हम सब लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने वाली विरोधी ताकतों से मिलकर लड़ेंगे। राज्य सरकार ने वर्ष 2025 को रोजगार एवं उद्योग वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया है। प्रदेशवासियों के जीवन में उजाला लाने के लिए सरकार नित नई योजनाएं लेकर आ रही हैं। पात्र होने पर लोकतंत्र सेनानियों के परिजनों को भी इन सभी शासकीय योजनाओं में प्राथमिकता के अनुरूप लाभ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लोकतंत्र सेनानियों और उनके परिजन के कल्याण के लिए कोई कसर नहीं रखेगी। 
 
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. माेहन यादव, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत एवं अन्य अतिथियों ने 'मीसा पत्रिका' और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आपातकाल के दौरान लिखे गए पत्रों, विचारों, आलेखों से जुड़े संस्मरणों पर आधारित एक 'इमरजेंसी डायरी' का भी विमोचन किया। उन्होंने कर्नाटक के राज्यपाल गहलोत, हरियाणा के पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट और मप्र हिंदी ग्रंथ अकादमी के अध्यक्ष अशोक कड़ेल को लोकतंत्र सेनानी होने के सम्मान स्वरूप ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभारी मंत्री अपने-अपने प्रभार के जिलों में सभी लोकतंत्र सेनानियों को ताम्रपत्र देकर सम्मानित करेंगे।
 
केंद्र सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किया है। 26 जून को लोकतंत्र सेनानी प्रादेशिक सम्मेलन हो रहा है। आपातकाल के दौर में लोकतंत्र सेनानियों की क्या चुनौतियां थी, ये मुझे बचपन में समझने का मौका मिला। एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री ने अपना शासन बरकरार रखने के लिए देश पर आपातकाल लगा दिया था। उस आपातकाल की देश ने बड़ी कीमत चुकाई। लोकतंत्र को बचाने के लिए तत्कालीन लोकतंत्र सेनानियों का संघर्ष पूरा देश याद रखेगा।तत्समय कांग्रेस सरकार ने चुनी हुई सरकारों को भंग करने का कार्य किया था। कांग्रेस शासनकाल में इन्हीं के एक वरिष्ठ नेता ने अध्यादेश की कॉपी फाड़कर चुनी हुई सरकार और संविधान का अपमान किया था।
 
कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में श्रीराम जन्म भूमि विवाद और तीन तलाक जैसे बड़े फैसले देश की सर्वोच्च न्यायालय ने दिए। संविधान और लोकतंत्र के संवर्धन के लिए वर्तमान सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। देश, प्रदेश और अपने नगर की सरकार चुनने में हर व्यक्ति का योगदान हो, यह हर स्तर पर सुनिश्चित किया गया है। 
 
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। इसे और मजबूत करने के लिए लोकतंत्र के सेनानियों ने कड़ी तपस्या की है। आपातकाल के दौरान 46 अध्यादेश जारी किए गए। आपातकाल के दौर में संवैधानिक आजादी खत्म करते हुए लोगों के बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। वर्तमान में देश के 12 से अधिक राज्यों में लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान समारोहपूर्वक किया जा रहा है लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों को सबसे अधिक सुविधाएं दीं।यह सम्मेलन 25 जून 1975 को आपातकाल के दौरान क्या-क्या हुआ था, लोगों को बताने का एक सशक्त माध्यम है। आजादी के 75 साल बाद भारत ने हर क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है।
 
कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था आज दुनिया में ऊंचे स्थान पर पहुंच चुकी है। आजादी की शताब्दी वर्षगांठ 2047 पर मनाई जाएगी, तब तक हम दुनिया में सिरमौर होंगे। इस सफल आयोजन के लिए लोकतंत्र सेनानी संघ के प्रदेश अध्यक्ष तपन भौमिक का आभार जताया।
 
लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश सोनी ने कहा कि मध्य प्रदेश की वर्तमान सरकार लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान की परंपरा को निरंतर आगे बढ़ा रही है। उन्होंने लोकतंत्र की खूबसूरती पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जिन्हें कभी जेल में बंद किया गया, वे (थावरचंद गहलोत) आज इसी लोकतांत्रिक व्यवस्था की बदौलत राज्यपाल है। 25 जून, 1975 की मध्य रात्रि को देश में आपातकाल लागू हुआ था। तब कोई कैबिनेट बैठक नहीं हुई और तानाशाही रवैये से एकाएक आपातकाल लागू कर दिया। तत्कालीन राष्ट्रपति अगर कैबिनेट का प्रस्ताव मांगते, तो शायद देश को आपातकाल का सामना नहीं करना पड़ता। कहा कि जब-जब कांग्रेस की सरकार आईं, लोकतंत्र सेनानियों की सम्मान निधि पर रोक लगा दी गई थी। 
 
इससे पहले मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर सम्मेलन का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर वंदे मातरम गायन एवं लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान किया गया। लोकतंत्र सेनानी संघ ने सम्मान के लिए मुख्यमंत्री का आभार माना। इस अवसर पर देश में आपातकाल लागू करने से जुड़ी केन्द्र सरकार द्वारा निर्मित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।
Kolar News 26 June 2025

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