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सिकल सेल रोग उन्मूलन के राष्ट्रीय संकल्प को मध्य प्रदेश दृढ़ता से कर रहा है साकार: उप मुख्यमंत्री शुक्ल
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भोपाल । उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने बुधवार काे कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष-2047 तक देश को सिकल सेल मुक्त बनाने के लक्ष्य को लेकर हम सब एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं। सिकल सेल रोग के उन्मूलन के राष्ट्रीय संकल्प को मध्य प्रदेश दृढ़ता से साकार कर रहा है। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि सिकल सेल एक आनुवांशिक एवं असाध्य रक्त विकार है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होता है। इसमें लाल रक्त कणिकाएँ अर्द्धचंद्राकार हो जाती हैं, जिससे ऑक्सीजन प्रवाह बाधित होता है और व्यक्ति को तीव्र दर्द, संक्रमण व अंग क्षति जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह रोग विशेषकर जनजातीय समुदायों में अधिक व्यापक है और मध्य प्रदेश जैसे जनजातीय बाहुल्य राज्य के लिए एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती है।

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर 19 जून को बड़वानी में राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में राज्यपलाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शामिल होंगे। इस अवसर पर प्रदेश के 33 सिकल प्रभावित जिलों में परामर्श, स्क्रीनिंग, रोग प्रबंधन और निःशुल्क उपचार हेतु विशेष शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। साथ ही सिकल सेल उन्मूलन के प्रयासों को और सशक्त किया जाएगा। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि वर्ष 2047 तक मध्यप्रदेश को सिकल सेल मुक्त बनाएंगे। हर नागरिक की स्क्रीनिंग कराएं, विवाह पूर्व सिकल सेल कार्ड को अनिवार्य रूप से अपनाएं और समाज में संकोच नहीं, समाधान का संदेश फैलाएं।

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि राज्य सरकार ने सिकल सेल उन्मूलन को स्वास्थ्य न्याय का विषय मानते हुए इसे मिशन मोड में अपनाया है। उन्होंने कहा कि यह गर्व का विषय है कि मध्यप्रदेश आज सिकल सेल स्क्रीनिंग में देश में प्रथम स्थान पर है। अब तक 1 करोड़ 6 लाख से अधिक नागरिकों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। 2 लाख से अधिक सिकल सेल वाहक एवं 29,277 रोगी चिन्हित हुए हैं। 80 लाख 9 हज़ार से अधिक सिकल सेल कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। 26,115 मरीजों को हाइड्रॉक्सी यूरिया दवा से उपचार उपलब्ध कराया गया है।

वहीं शुक्ल का कहना है कि सभी चिन्हित रोगियों को निःशुल्क दवा, टीकाकरण, रक्ताधान और जेनेटिक परामर्श उपलब्ध कराया जा रहा है। एम्स भोपाल में नवजातों की 72 घंटे में जांच हेतु विशेष प्रयोगशाला कार्यरत है। इंदौर मेडिकल कॉलेज में 100 से अधिक बोनमेरो ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किए गए हैं। रीवा में "सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर प्रीनेटल डायग्नोसिस ऑफ हीमोग्लोबिनोपैथीज़" प्रभावी रूप से कार्यशील है। इसके अतिरिक्त, जनजातीय स्कूलों, छात्रावासों और महाविद्यालयों में नियमित रूप से स्क्रीनिंग शिविरों का आयोजन किया जा रहा है ताकि रोग की पहचान प्रारंभिक स्तर पर हो सके और प्रभावी उपचार सुनिश्चित किया जा सके।

कुंडली मिले या न मिले, शादी से पहले सिकल सेल कार्ड जरूर मिलाएं

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने आग्रह किया है कि "कुंडली मिले या न मिले, शादी से पहले सिकल सेल कार्ड जरूर मिलाएं।" उन्होंने कहा कि यदि दोनों युवा सिकल सेल वाहक होते हैं तो उनके बच्चों में गंभीर सिकल सेल रोग होने की संभावना बहुत अधिक होती है। अतः विवाह से पहले सिकल सेल जांच कराना केवल व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य की रक्षा का एक सामाजिक उत्तरदायित्व है।

Kolar News 18 June 2025

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