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चुनाव आयोग के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सचिव चंद्रशेखर बोरकर के राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम का प्रबंध संचालक भी होने पर जवाब तलब करने पर सरकार ने उन्हें निगम से हटा लिया।
आयोग का पत्र सार्वजनिक होने के दस घंटे के भीतर मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने बोरकर को हटाने के आदेश शुक्रवार को जारी कर दिए। आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने बोरकर के मुख्यमंत्री के सचिव रहते निगम में पदस्थी को लेकर सवाल उठाते हुए शिकायत की थी।
जिस पर आयोग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से पूछा था कि क्या बोरकर मुख्यमंत्री के सचिव हैं और निगम मतदाता सूची संबंधी काम के लिए वेंडर है। बोरकर की जगह प्रमुख सचिव नवकरणीय ऊर्जा मनु श्रीवास्तव को निगम के प्रबंध संचालक और समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन के संचालक पद का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
सूचना का अधिकार कार्यकर्ता अजय दुबे ने चुनाव आयोग में शिकायत की थी कि मुख्यमंत्री के सचिव चंद्रशेखर बोरकर जिस निगम के प्रबंध संचालक है वो मतदाता सूची संबंधी काम के लिए वेंडर है। उन्होंने मतदाता संबंधी गोपनीयता भंग होने की आशंका भी जताई थी।इसके मद्देनजर चुनाव आयोग ने 26 मार्च को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह को पत्र लिखकर अभिमत मांगा था।
यह पत्र शुक्रवार को सार्वजनिक हुआ तो मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय हरकत में आ गया। सूत्रों के मुताबिक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को भी इस शिकायत के पूर्व यह नहीं मालूम था कि मुख्यमंत्री के सचिव ही निगम के प्रबंध संचालक भी हैं। मामला बढ़ने पर उन्होंने शासन को अवगत कराया, जिसके बाद बोरकर निगम के साथ संचालक समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन के अतिरिक्त प्रभार से हटा दिया है।
निर्वाचन कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने इलेक्ट्रानिक्स विकास निगम को मतदाता सूची के काम में तकनीकी सलाह के लिए सलाहकार बनाया है। निगम ने ही मतदाता सूची के काम के लिए वेंडर नियुक्त करने टेंडर की शर्त तय करने के साथ उनका चयन भी किया है। प्रदेश में 22 वेंडर हैं जो कलेक्टर की देखरेख में काम करते हैं।
अजय दुबे ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत को एक अन्य शिकायत में अशोकनगर में बीएस जामौद को फिर से कलेक्टर बनाने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि मुंगावली विधानसभा के उपचुनाव में गंभीर गड़बड़ियों के कारण आयोग के निर्देश पर ही अशोकनगर कलेक्टर को हटाया गया था। चुनाव समाप्त होते ही सरकार ने जामौद को फिर से कलेक्टर बना दिया।
ये सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के आदेशों की अवमानना है। इससे यह संदेश भी गया कि सत्ताधारी दल को फायदा पहुंचाने वाले अधिकारियों पर चुनाव के बाद सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी। ठीक इसी तरह अटेर उपचुनाव के बाद इलैया राजा टी को भी वापस भिंड कलेक्टर बना दिया गया है। उन्होंने आयोग से चुनाव के दौरान जिन अफसरों पर कार्रवाई की गई थी, उन्हें हटाने की मांग की है।
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