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भोपाल । पचमढ़ी अभ्यारण सीमा में नजूल की भूमि पर कब्जे वाला केस सरकार जीत गई है। पचमढ़ी अभ्यारण सीमा में नजूल की भूमि थी। काफी समय से केस चल रहा था। राज्य शासन द्वारा वन्य जीव संरक्षण 1972 इन सब क्षेत्र के अंदर विकास प्रतिबंध था। 395.5 नजूल भूमि मिलने के बाद पर्यटकों को किस तरीके से आकर्षित कर सकते हैं इस पर काम किया जाएगा। राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटक क्षेत्र बना सकें इस पर काम किया जाएगा। यह सरकार की एक बहुत बड़ी सफलता है।
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती ने मंगलवार काे संपन्न केबिनेट बैठक में लिए गए निर्णयों का स्वागत करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार द्वारा पचमढ़ी के संबंध में लिए गए निर्णय से न सिर्फ इस हिल स्टेशन के विकास को गति मिलेगी, बल्कि पचमढ़ी देश-विदेश के पर्यटन मानचित्र पर तेजी से उभरेगा। वहीं, प्रदेश के मंडला, बालाघाट और डिंडोरी जिलों में नक्सल विरोधी अभियान के लिए विशेष सहयोगियों की भर्ती भी एक क्रांतिकारी कदम है।
पचमढ़ी के विकास का रास्ता साफ
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष जिराती ने कहा कि सतपुड़ा की पहाड़ियों पर स्थित पचमढ़ी प्रदेश का एक मात्र हिल स्टेशन है और सुरम्य पर्यटन स्थल है। लेकिन यह संपूर्ण नगर वन भूमि पर था और नजूल की भूमि उपलब्ध नहीं थी। इसलिए प्रदेश सरकार पचमढ़ी में पर्यटन सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कदम नहीं उठा पा रही थी। लेकिन राज्य मंत्रिमंडल ने पचमढ़ी शहर को अभ्यारण्य से बाहर करने और यहां की 395.93 हेक्टेयर जमीन को नजूल घोषित करने का निर्णय लिया है। इसके बाद यह भूमि पचमढ़ी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के स्वामित्व में आ जाएगी और यहां विकास कार्यों में तेजी लाने व जमीन की खरीदी-बिक्री का काम किया जा सकेगा। अभी अभयारण्य होने के कारण यहां कोई व्यवसायिक गतिविधियां चलाने की अनुमति सरकार नहीं दे पा रही थी। श्री जिराती ने कहा कि पचमढ़ी में पर्यटन सुविधाओं के विकास से यहां पर्यटन उद्योग में तेजी आएगी।
नक्सली उन्मूलन में आएगी तेजी
जीतू जिराती ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वर्ष 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे की बात कही है। उनके इस संकल्प की पूर्ति की दिशा में काम करते हुए मध्यप्रदेश सरकार भी कदम उठा रही है। नक्सल विरोधी अभियान के चलते बड़ी संख्या में नक्सली समर्पण के लिए आगे आ रहे हैं। प्रदेश के बालाघाट, मंडला, डिंडोरी में नक्सली गतिविधियों की जानकारी मिलती रहती है। ऐसे में सरकार ने इन जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में 850 ऐसे विशेष सहयोगियों की भर्ती करने का निर्णय लिया है, जो सरकार को नक्सलियों के मूवमेंट की जानकारी देंगे। इसके लिए राज्य सरकार ने 850 पदों का सृजन किया है। हर विशेष सहयोगियों को 25 हजार रुपए मानदेय दिया जाएगा। जीतू जिराती ने कहा कि सरकार के इस कदम से नक्सल विरोधी सूचना तंत्र मजबूत होगा और उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जा सकेगी।
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