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जीतू पटवारी ने टमाटर उत्पादक किसानों के लिए सरकार के सामने रखी पांच प्रमुख मांगे
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भोपाल । मध्य प्रदेश में टमाटर किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है, क्योंकि बंपर उत्पादन के कारण मंडियों में टमाटर का थोक मूल्य मात्र 2 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर गया है।कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रदेश में टमाटर के दाम जमीन पर आने के बाद टमाटर उत्पादक किसानाें की स्थिति पर चिंता जताते हुए सरकार से किसानाें काे राहत पहुंचाने की मांग की है। इसके साथ ही जीतू पटवारी ने सरकार के समक्ष पांच मांगे भी रखी है।

 
जीतू पटवारी ने शुक्रवार काे मीडिया काे जारी अपने बयान में कहा कि छतरपुर में टमाटर उत्पादक किसान फिर से संकट से गुजर रहे हैं! टमाटर का भाव 3 से 4 रुपये किलो तक गिर गया है, जिससे किसानों को न सिर्फ़ लागत से कम दाम मिल रहे हैं, बल्कि उन्हें सिंचाई तक रोकनी पड़ी है। खेतों में पकी हुई फसल को किसान अब सड़ा रहे हैं या मवेशियों को खिला रहे हैं। यदि सरकार ईमानदारी से पड़ताल करें तो इस तरह की स्थिति मध्य प्रदेश के मालवा, निमाड़ और बुंदेलखंड के कई जिलों में भी हो सकती है!


कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पटवारी ने कहा है कि यह हालात प्राकृतिक आपदा के कारण नहीं, बल्कि सरकारी उदासीनता और नीतिगत विफलता का नतीजा हैं। छतरपुर के किसान आज ज़िंदा हैं, लेकिन उनकी उम्मीद मर रही है। मेहनत की फसल मिट्टी हो जाए और सरकार चुप रहे, ये अन्याय है। किसान कोई याचक नहीं, वह देश का अन्नदाता है। सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना होगा।

जीतू पटवारी ने कहा कि टमाटर से जुड़ा यह संकट भी नया नहीं है, यह मप्र के किसानों की प्रदेशव्यापी समस्या है। क्योंकि, टमाटर उत्पादकों के साथ मप्र में बार-बार सरकारी अन्याय हो रहा है! टीकमगढ़, पन्ना, निवाड़ी, दमोह, रतलाम, मंदसौर, धार सहित कई जिलों में किसान हर साल टमाटर उपजाते हैं, लेकिन उन्हें सही बाज़ार, मूल्य और संरक्षण नहीं मिल पाता! प्रोसेसिंग यूनिट्स नहीं होने के कारण किसानों को अपनी उपज सस्ते में बेचना या नष्ट करना पड़ता है! चिंताजनक यह है कि सरकार के पास न नीति है और न ही कोई भाव नियंत्रण योजना!

जीतू पटवारी ने भाजपा सरकार से पांच मांग की हैं:

1. टमाटर और सब्ज़ी उत्पादकों के लिए भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया जाए।

2. प्रत्येक ज़िले में सरकारी खरीदी केंद्र खोले जाएं, जहां किसानों की उपज को न्यूनतम मूल्य पर खरीदा जा सके।

3. प्रभावित किसानों को तत्काल राहत पैकेज दिया जाए, प्रति क्विंटल नुकसान की भरपाई की जाए।

4. प्रोसेसिंग यूनिट्स, कोल्ड स्टोरेज और फूड पार्क्स स्थापित कर किसानों की उम्मीद मजबूत की जाए।

5. राज्य में सब्जी उत्पादक किसानों के लिए दीर्घकालिक कृषि नीति लागू की जाए, जिससे हर साल उन्हें मंडी और भाव के संकट से जूझना न पड़े।
गेहूं, धान, सोयाबीन के किसानों की भी सुनवाई हो!

जीतू पटवारी ने फिर दोहराया कि प्रदेश में केवल टमाटर उत्पादक नहीं, बल्कि गेहूं, धान और सोयाबीन के किसान भी गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। गेहूं की सरकारी खरीदी में हर साल देरी और तकनीकी गड़बड़ियों के कारण किसान खुले बाजार में औने-पौने दाम पर बिक्री को मजबूर हैं। धान की खरीदी में भ्रष्टाचार, तौल मशीनों की कमी और दलालों की दखल आम है। सोयाबीन के एमएसपी की तुलना में बाजार मूल्य लगातार कम है, और बोनस योजनाएं भी अधूरी हैं। ई-उपार्जन पोर्टल बार-बार ठप हो रहा है, किसान लाइन में खड़े होकर अपमानित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि गेहूं के लिए 2700 रुपये, धान के लिए 3100 रूपये और सोयाबीन के लिए 6000 रुपये प्रति क्विंटल को कब से लागू किया जाएगा?

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आने पर हर प्रमुख फसल का एमएसपी तय करेगी और उसे कानूनी दर्जा दिलाने की दिशा में हर संभव प्रयास करेगी। राज्य स्तर पर ‘किसान न्याय नीति’ लाई जाएगी जिसमें किसान को न सिर्फ मूल्य, बल्कि उसकी उपज के आधार पर बीमा, बोनस और संरक्षण मिलेगा। फसल के अनुसार जरूरी जिलों में ब्लॉक स्तर पर प्रोसेसिंग यूनिट्स और जिला स्तर पर किसानों की मंडी तक सीधी पहुंच की योजना बनाई जाएगी।

 
 
 

 

Kolar News 25 April 2025

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