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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पूरे विश्व में आदि शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन का प्रचार-प्रसार करने के लिये प्रदेश के ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य सांस्कृतिक एकता न्यास की स्थापना की जायेगी। न्याय के जरिये अद्वैत दर्शन पर शोध और अध्ययन का काम होगा। वे आज केरल में श्रंगेरी मठ में 'एकात्म यात्रा' की श्रंखला में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने शंकर संदेश वाहिनी को ध्वज दिखाकर रवाना किया। यह वाहिनी कालिडी, श्रंगेरी, काँची, द्वारका, जोशीमठ, हरिद्वार, वाराणसी से होते हुए 22 जनवरी को ओंकारेश्वर पहुँचेगी।
श्री चौहान ने कहा कि अद्वैत दर्शन में विश्व की सभी समस्याओं का समाधान करने की क्षमता है। यह युग की धारा बदल देने वाला दर्शन है। आतंकवाद और वैमनस्यता जैसी बुराइयों को समाप्त कर देगा। उन्होंने कहा कि अद्वैत दर्शन का ज्ञान होने पर ही पता चलता है कि इस जगत के सभी जीवों, अवयवों में एक ही चेतना का वास है। इसलिये सभी एक ही चेतना से आपस में जुडे हैं। इसी दर्शन के कारण भारत में प्रकृति की आराधना होती है। नदियों को पूजा जाता है। उन्हें परम चेतना से अलग नहीं मानते। उन्होंने कहा कि अद्वैत दर्शन आम लोगों के बीच जाना चाहिये। केवल मंदिरों, मठों और विद्वानों तक सीमित नहीं रहना चाहिये। इसका विस्तार ही कल्याणकारी है। आदि शंकराचार्य ने भारत की सांस्कृतिक एकता को स्थापित किया और मानवता को शांति और धर्म की राह दिखाई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदि शंकराचार्य की जन्म-भूमि केरल है लेकिन उनकी ज्ञान-भूमि मध्यप्रदेश है। इसलिये चार एकात्म यात्राएँ ओंकारेश्वर, रीवा, अमरकंटक और उज्जैन से निकाली गई हैं। जिन स्थानों से ये एकात्म यात्राएँ गुजरेंगी उस स्थान से धातु कलश में वहाँ की मिट्टी इकट्ठी की जा रही है। आदिगुरू की प्रतिमा की स्थापना के समय नींव में इसका उपयोग किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को जीव, जगत और जगदीश की एकात्मकता को आत्मसात करने और एकात्मकता के माध्यम से बेहतर समाज, राष्ट्र और विश्व निर्माण करने में योगदान देने का संकल्प दिलाया।
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