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जबलपुर । ईओडब्ल्यू ने नागपुर डायोसिस ट्रस्ट एसोसिएशन की मंडला स्थित भूमि के नकली दस्तावेजों के जरिए अवैध रूप से बिक्री किए जाने के मामले में धोखाधड़ी आईपीसी धारा 420 और आपराधिक षड्यंत्र आईपीसी धारा 120बी के तहत मामला दर्ज किया है। जबलपुर निवासी अधिवक्ता स्वपनिल सराफ ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में इस धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के आधार पर मामले की विस्तृत जांच शुरू हुई, जिसमें यह सामने आया कि चर्च ट्रस्ट की संपत्ति को अवैध रुप से बेचा गया था। जांच के दौरान राजस्व रिकॉर्ड और रजिस्ट्रार कार्यालय के दस्तावेजों की जांच की गई, जिससे यह साबित हुआ कि जमीन का हस्तांतरण बिना किसी वैध अनुमति और सरकारी मंजूरी के किया गया था। इसके अलावा, खरीदारों द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की वैधता पर भी सवाल उठाए गए, जिससे यह साफ हुआ कि नामांतरण प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई थी।
इस मामले में आरोपियों ने फर्जी तरीके से चर्च ट्रस्ट की जमीन को पहले खुद के नाम पर दिखाया और फिर इसे कई अन्य लोगों को बेचा। धोखाधड़ी के इस खेल में कई तरीके अपनाए गए जैसे चर्च ट्रस्ट के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर यह दर्शाया गया कि जमीन किसी एक व्यक्ति की निजी संपत्ति है। मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव ने 1994 में आदेश जारी कर चर्च की संपत्तियों को चर्च के सदस्यों के अलावा अन्य किसी को बेचने पर रोक लगाई थी, लेकिन इस आदेश को नजरअंदाज कर बिना किसी आधिकारिक अनुमति के भूमि को बेच दिया गया।
खरीदारों के नाम पर गलत तरीके से जमीन का नामांतरण किया गया प्रारंभिक खरीदारों ने आगे इस जमीन को अन्य लोगों को बेचा, जिससे यह मामला जटिल होता गया और असली धोखाधड़ी को छिपाया जा सके। इस पूरे घोटाले में भ्रष्ट अधिकारियों और दलालों की संलिप्तता से सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर किया गया, जिससे जमीन को अवैध रूप से निजी संपत्ति के रूप में स्थानांतरित किया गया। इस बड़े जमीन घोटाले में चर्च ट्रस्ट के कुछ पदाधिकारी और निजी खरीदारों की मिलीभगत सामने आई है।
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में 8 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी आईपीसी 420 और आपराधिक षड्यंत्र आईपीसी 120बी के तहत मामला दर्ज किया है। इन आरोपियों में नाहिद जहां, निवासी मंडला, इफ्फत निवासी मंडला, रुबीना निवासी मंडला,अतीक गौरी निवासी मंडला,इकबाल गौरी निवासी मंडला,रईस अहमद गौरी निवासी मंडला,दीपक कुमार जैन निवासी मंडला,जितेंद्र साहू निवासी मंडला, इसमें से अधिकांश मंडला निवासी आरोपी फिलहाल भोपाल के कोहेफिजा थाना क्षेत्र में रह रहे हैं। इस मामले में शामिल सरकारी अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है, क्योंकि इतनी बड़ी हेराफेरी बिना किसी प्रशासनिक संलिप्तता के संभव नहीं हो सकती। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ अब सभी आरोपियों से पूछताछ करने की तैयारी में है।
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