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वेदर सिस्टम के ग्वालियर के रास्ते उत्तरप्रदेश की तरफ शिफ्ट हो जाने से भोपाल सहित प्रदेशभर में अब बरसात की गतिविधियों में कमी आना शुरू हो गई है। रात और सुबह के वक्त माहौल में ठंडक का अहसास बढ़ गया है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि सितंबर के अंतिम सप्ताह में राजधानी से मानसून की विदाई शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार मानसून की रवानगी दशहरा के बाद होने की पूरी संभावना बन रही है। उधर, धूप निकलने के कारण शनिवार को दिन का तापमान 32.5 डिग्रीसे. दर्ज हुआ जो कि शुक्रवार (27.4) के मुकाबले 5.1 डिग्रीसे. अधिक रहा।
मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक राजधानी सहित पूरे प्रदेश में कई स्थानों को तरबतर करने के बाद गहरा कम दवाब का क्षेत्र कमजोर होकर पश्चिमी उप्र की तरफ चला गया है। वर्तमान में अभी अन्य कोई वेदर सिस्टम नहीं होने से अब तेज बौछारें पड़ने की संभावना कम ही है। लेकिन वातावरण में बड़े पैमाने पर आद्रता बनी रहने और धूप के कारण दिन का तापमान बढ़ने से कहीं-कहीं शाम के वक्त गरज-चमक के साथ हल्की बौछारें पड़ सकती हैं।
वर्तमान में 17-18 किमी. की औसत रफ्तार से पश्चिमी हवा चल रही है। रात का तापमान भी अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। इस वजह से रात और सुबह के वक्त हवा में सिहरन महसूस होने लगी है। इसी क्रम में शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात का तापमान 21.8 डिग्रीसे. दर्ज हुआ जो सामान्य से एक डिग्रीसे. अधिक है। वरिष्ठ मौसम विज्ञानी उदय सरबटे ने बताया कि अब राजस्थान से मानसून की विदाई के संकेत मिलने लगे हैं। प्रदेश में मानसून की विदाई ग्वालियर-चंबल संभाग से शुरू होती है। वर्तमान में हवा की तेज रफ्तार से वातावरण में तेजी से नमी की कमी होना शुरू हो सकती है। साथ ही हवाओं का रुख उत्तरी होते ही उत्तरभारत की ठंडी हवाएं प्रदेश में दाखिल होने लगेंगी। हालांकि राजधानी से मानसून दशहरा (30 सितंबर) के बाद ही विदा होगा।
क्या हैं मानसून की विदाई के संकेत
वातावरण में नमी (आद्रता) तेजी से कम होना शुरू हो जाती है। लगातार पांच दिन तक संबंधित क्षेत्र में पानी नहीं गिरता। प्रदेश के ऊपर चक्रवात के स्थान पर प्रतिचक्रवात बनने लगता है।
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