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कोलार के बीच से बहने वाली कलियासोत नदी को नाला ही घोषित कर देना चाहिए क्योंंकि न तो सरकार इसे बचाना चाहती है और न ही लोग नदी बचाने के प्रति जागरूक हैं। यही कारण है कि एनजीटी के आदेश के 3 साल बीतने के बावजूद यहां ग्रीन बैल्ट विकसित करना तो दूर, न तो नदी से अतिक्रमण हटाए गए, न सीवेज को रोकने की दिशा में कोई प्रयास हुए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कलियासोत नदी के संरक्षण की घोषणा की। स्थानीय विधायक रामेश्वर शर्मा ने कलियासोत महोत्सव मनाने का ऐलान किया, लेकिन अब तक नदी किनारे एक पौधा तक नहीं रोपा गया है। यह स्थिति तब है कि जब प्रदेश सरकार नदियों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए नर्मदा सेवा यात्रा जैसा विशाल नदी बचाओ आंदोलन चलाती है। इस दौरान मुख्यमंत्री के आह्वान पर सरकारी एजेंसियों ने एक हजार किमी लंबी नदी के किनारे सिर्फ एक दिन में 6 करोड़ 67 लाख पौधे रोप दिए। यदि सरकार गंभीर होती तो सिर्फ 36 किमी की लंबाई में बहने वाली कलियासोत के किनारे एक दिन में 10 हजार पौधे तो लगाए ही जा सकते थे।
कलियासोत नदी के ग्रीनबेल्ट पर निर्माण करने वाले करीब 250 लोगों को नोटिस जारी किए थे। सभी को पक्ष रखने का मौका दिया है। सुनवाई जारी है। सुनवाई पूरी होने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। - मल्लिका निगम नागर, अपर आयुक्त एवं प्रभारी बिल्डिंग परमीशन शाखा, नगर निगम, भोपाल
एनजीटी ने 20 अगस्त 2014 को नदी किनारे से अतिक्रमण हटाकर दोनों ओर 33 मीटर ग्रीन बेल्ट विकसित करने का आदेश दिया था, लेकिन सरकारी एजेंसियां अब तक न तो नदी के का पाट की चौड़ाई चिन्हित कर पाई हैं, न ही नदी किनारे अवैध रूप से किए गए अतिक्रमण को हटाने की दिशा में कोई कार्रवाई कर पाईं। नगर निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक नदी के बहाव क्षेत्र और ग्रीनबेल्ट की जमीन पर करीब 265 अतिक्रमण हैं, जिन्हें हटाने नोटिस तो जारी हुए, लेकिन कार्रवाई नहीं। वहीं पूर्व फॉरेस्ट अफसर व पर्यावरण कानूनों के जानकार सुदेश्वर राव वाघमारे का कहना है कि कलियासोत को बचाने की संभावनाएं अब धूमिल नजर आती हैं। मामला हाईकोर्ट ट्रांसफर हो गया है, शासन को कलियासोत की कोई फिक्र नहीं है। एनजीटी में कलियासोत की लड़ाई लड़ रहे डॉ. सुभाष पांडेय कहते हैं कि यह हकीकत है सरकार खुद ही नहीं चाहती कि कलियासोत नदी का पुनर्जीवन हो या ग्रीनबेल्ट बने। इस मामले में पहली याचिका लगाने वाले प्रदीप पांडे कहते हैं कि सरकार को इसे नाला ही घोषित कर देना चाहिए।
कलियासोत में सीवेज रोकने एसटीपी और नालों को रोकने के लिए भी कुछ नहीं किया गया।
नवंबर 2014 : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलियासोत नदी के संरक्षण की योजना बनाने की घोषणा की।
ननि ने 265 को अतिक्रमण कर निर्माण करने का नोटिस दिया, लेकिन कार्रवाई किसी पर नहीं की।
20 अगस्त 2014: एनजीटी का आदेश, नदी किनारे अतिक्रमण हटाकर दोनों ओर 33 मीटर ग्रीन बैल्टडेवलप करें।
ईको टूरिज्म बोर्ड ने उत्सव के लिए योजना बनाई, लेकिन आज तक महोत्सव नहीं हुआ।
फरवरी 2014: विधायक रामेश्वर शर्मा ने कलियासोत महोत्सव मानने की घोषणा की और सरकार को पत्र लिखा।
जिला प्रशासन : दामखेड़ा में नदी किनारे झुग्गियां बढ़ती जा रही हैं। इनमें रहने वाले हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं, लेकिन इसका स्थाई समाधान नहीं निकाला जा रहा है।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग: अफसरों ने बिना जमीनी हकीकत की पड़ताल किए ग्रीनबेल्ट की जमीन पर निर्माण की मंजूरी दे दी।
जल संसाधन विभाग : विभाग के पास रिकॉर्ड ही नहीं कि नदी की लंबाई कितनी है। वह कलियासोत डैम व उसकी नहरों के मेंटेनेंस तक सीमित है।
नगर निगम : सीवेज गिरने और अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी निगम की है, लेकिन शुरुआती कार्रवाई कर मामले को ढ़ाई साल से लटका रखा है।
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