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मध्यप्रदेश में मनोरंजन कर अब नगरीय निकाय वसूलेंगे। इसके लिए सरकार नगर पालिक और नगर पालिका अधिनियम में संशोधन कर निकायों को अधिकार देगी। इसी तरह पंचायतीराज संस्थाओं को भी अधिकार दिए जाएंगे। निकाय 20 प्रतिशत से ज्यादा कर नहीं लगा सकेंगे। दरअसल, गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद मनोरंजन कर अधिनियम समाप्त हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में अभी तक मनोरंजन कर वाणिज्यिक कर विभाग वसूलता था। जीएसटी के लागू होने के बाद मनोरंजन कर से जुड़ा राज्य का कानून समाप्त हो गया है, लेकिन 73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद नगरीय निकाय और पंचायतराज संस्थाओं के लिए बने कानून में निकायों को मनोरंजन सहित अन्य कर लगाने का अधिकार दिया गया है।
जीएसटी लागू होने के बाद राज्य की मनोरंजन कर के जरिए होने वाली आय समाप्त हो गई है। इससे हो रहे नुकसान को देखते हुए सरकार ने मनोरंजन कर वसूलने का रास्ता खोज लिया है।
इसके लिए सरकार नगर पालिक, नगर पालिका और पंचायतराज अधिनियम में संशोधन करेगी। गत बुधवार को वरिष्ठ सचिव समिति में इस मुद्दे को लेकर विचार विमर्श किया गया। तय हुआ कि नगरीय विकास एवं आवास विभाग प्रस्तावित संशोधन का मसौदा बनाकर एक बार फिर समिति के सामने रखेगा। इसके बाद प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा।
चूंकि, विधानसभा का शीतकालीन सत्र नवंबर-दिसंबर में होगा, इसलिए इतने वक्त रुकने की जगह अध्यादेश लाकर मनोरंजन कर वसूलना शुरू कर दिया जाएगा। विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव ने बताया कि संशोधन कानून को लेकर विचार-विमर्श किया जा रहा है। जल्द ही इसे अंतिम रूप देने के लिए वरिष्ठ सचिव समिति के सामने रखा जाएगा।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि गुजरात, तमिलनाडु और हरियाणा अपने अधिनियमों में संशोधन कर निकायों को मनोरंजन कर लगाने का अधिकार दे चुके हैं। प्रदेश को मनोरंजन कर समाप्त होने से करीब 100 करोड़ रुपए सालाना का नुकसान होगा। सरकार को नई व्यवस्था से इसकी भरपाई की उम्मीद है।
वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जीएसटी में सिनेमा टिकट पर 18 से लेकर 28 प्रतिशत तक कर लेने का प्रावधान रखा गया है। 100 रुपए तक की टिकट पर 18 प्रतिशत और इससे अधिक की टिकट पर 28 प्रतिशत तक जीएसटी लिया जा सकता है।
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