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कलियासोत इलाके में हाथ लगा शिकार गंवाने के बाद से युवा बाघ टी- 121 और आक्रमक हो गया है। शुक्रवार तड़के 7 बजे वह जंगल से बाहर मौत के कुंए के आसपास बकरी चराने वाले चरवाहों द्वारा देखा गया। उसके बाद चरवाहे बकरी लेकर भाग निकले। बाघ ने एक दिन पहले गुरुवार तड़के संस्कार वैली स्कूल गेट के पास मुर्रा भैस पर पीछे से हमला कर दिया था लेकिन भैस ने उसे खदेड़ दिया। इस तरह बाघ शिकार नहीं कर पाया था।
राजधानी से सटे समरधा रेंज में बाघ टी-121 और बाघिन टी- 123 के मूवमेंट को देखते हुए लगातार चौकसी बरती जा रही है। शुक्रवार को भी टाइगर पेट्रोलिंग और क्रेक टीम के अमले ने मौके पर पहुंचकर सर्चिंग की है और लोगों को बारिश व रात्रि में सतर्क रहने की सलाह दी है।
बाघ से भिड़ंत के बाद जख्मी मुर्रा भैस की तबीयत बिगड़ गई है। पशु चिकित्सकों के मुताबिक पहले की तुलना में दूध की मात्रा कम हुई है साथ ही डाइट भी कम हो गई है। भैस मालिक जगदीश यादव का कहना है कि बाघ के हमले के पहले दिन तो भैस पर कोई खास असर नहीं दिखा। लेकिन दूसरे दिन उसने बराबर डाइट नहीं ली। वन विभाग के अमले ने भैस के फोटो लिए है। भैस के इलाज पर होने वाले खर्च का भुगतान किया जाएगा।
समरधा रेंज स्थित राजधानी के संस्कार वैली स्कूल के मुख्य गेट से महज 500 मीटर की दूरी पर गुरुवार सुबह एक मुर्रा भैंस पर बाघ ने दबे पांव हमला कर दिया। बाघ का पंजा जैसे ही भैंस के पिछले हिस्से को लगा।
वैसे ही भैंस ने बाघ को लताड़ लगा दी। बाघ लड़खड़ाकर नीचे गिर पड़ा। फिर क्या था, भैंस ने पलटकर अपने सींग से बाघ पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। बाघ और भैंस की लड़ाई करीब आधा घंटे तक चली। भैंस को भारी पड़ता देख बाघ सहम गया और दुम दबाकर घास व झुरमुटों में छिप गया।
शिकारी बाघ और शिकार होने से बचने की भैंस की इस लड़ाई के दौरान बाघ झुरमुटों के पीछे से भैंस पर हमला करने के लिए मौके की तलाश करती रही, वहीं भैंस भी टस से मस नहीं हुई। बाघ और भैंस की लड़ाई को दूर से देख रहे स्थानीय लोगों ने घटना की सूचना वन विभाग के अमले को दी। अमले ने मौके पर पहुंच कर दो घंटे की मशक्कत के बाद बाघ को ही जंगल की ओर खदेड़ा, वहीं जख्मी भैंस को अस्पताल पहुंचाया।
बाघ टी-121 और भैंस की यह ल़ड़ाई जगदीश यादव और अन्य चरवाहों ने पेड़ चढ़कर देखी। वे तब तक पेड़ पर चढ़े रहे, जब तक भाग को वन अमले ने खदेड़ नहीं दिया।
सूचना पर डिप्टी रेंजर आरबी शर्मा अपनी पेट्रोलिंग वाहन लेकर मौके पर पहुंचे तो बाघ गाड़ी को देख उसके इर्द-गिर्द घूमने लगा। उन्होंने हार्न बजाया और अन्य युक्तियां अपनाई। तब जाकर बाघ को सुबह साढ़े आठ बजे तक जंगल में खदेड़ा जा सका।
भैंस ने बाघ को खदेड़ दिया
मैं भैंसे चराने गया था। अचानक बाघ ने भैंस पर हमला कर दिया। एक मुर्रा भैंस बाघ से भिड़ गई। पहले सोचा वह नहीं बचेगी। मैने तो आस ही छोड़ दी थी। एकाएक भैंस बाघ पर भारी पड़ गई। दोनों आमने-सामने डटे रहे। बाघ थोड़ी दूर चला गया। बाद में डिप्टी रेंजर साहब की सूझबूझ से मेरी भैंस बच गई। जगदीश यादव, प्रत्यक्षदर्शी
भैंस का शिकार करने बाघ घात लगाकर खड़ा था। भैंस काफी बड़ी थी। उससे बाघ को खतरा हो सकता था, इसलिए पेट्रोलिंग वाहन से दोनों के बीच पहुंच गए। बाघ ने भैंस का पीछा छोड़ दिया लेकिन वह पेट्रोलिंग वाहन के आसपास दहाड़ने लगा। फिर जंगल में चला गया।
बाघ-भैस के बीच आधे घंटे संघर्ष हुआ। भैस ने बाघ को खदेड़ दिया। फिर भी दोनों 2 घंटे तक आमने- सामने डटे रहे। पेट्रोलिंग टीम के प्रयासों से बाघ को जंगल में खदेड़ा गया। भैस का इलाज कराया जा रहा है। - अरविंद अहिरवार, रेंजर, समरधा रेंज
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