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न जांच, न कार्रवाई। बस नोटिस और फिर उनका जवाब। बीते साढ़े तीन सालों से कलियासोत नदी के किनारे रहने वाले रहवासी नगर निगम के इस रवैए से परेशान हो चुके हैं। अब एक बार फिर निगम के भवन अनुज्ञा शाखा ने चौथी बार नोटिस जारी कर भवन अनुमति संबंधित दस्तावेज मांगे हैं। इसमें चेतावनी दी गई है कि यदि तय समय पर जवाब नहीं दिया गया तो कार्रवाई की जाएगी। अब तक 40 लोगों को नोटिस जारी हो चुके हैं। सबसे अधिक सर्वधर्म ए और बी सेक्टर के रहवासी शामिल हैं।
लोगों का कहना है कि पूर्व में मिले नोटिस का जवाब दिया जा चुका है, लेकिन निगम प्रशासन बार-बार नोटिस जारी करके लोगों को परेशान कर रहा है, वहीं निगम अफसरों का कहना है कि कुछ लोगों ने अपना जवाब प्रस्तुत नहीं किया है, इसलिए एनजीटी के आदेशानुसार नोटिस जारी कर सुनवाई के लिए अंतिम मोहलत दी गई है।
ज्ञात हो कि 20 अगस्त 2014 को एनजीटी ने कलियासोत मामले में अंतिम आदेश जारी किया था। इसमें नदी से 33 मीटर ग्रीन बेल्ट के दायरे में आने वाले अतिक्रमण को हटाने और नदी के संरक्षण के लिए कॉलोनियों के अनट्रीटेड वॉटर को मिलने से रोकने के लिए एसटीपी बनाने के आदेश दिए थे। इसके अलावा पौधरोपण कर ग्रीन बेल्ट को हराभरा बनाने को कहा था, लेकिन 34 महीने बाद नगर निगम अब तक सिर्फ नोटिस ही जारी कर रहा है।
जानकारों के अनुसार सर्वधर्म ए और बी सेक्टर कॉलोनी को वर्ष 1983 में कलेक्टर ने परमिशन दी थी। यह कॉलोनी जब बनी उस समय यह क्षेत्र मास्टर प्लान के प्लानिंग एरिया से बाहर थी। मास्टर प्लान में सर्वधर्म को वर्तमान आवासीय दर्शाया गया है। सर्वधर्म के रहवासियों ने अपने जवाब में भी कहा है कि उन पर 33 मीटर का नियम लागू नहीं होता, इसलिए उन्हें इस केस से बाहर रखा जाए। लेकिन इस तथ्य को राज्य सरकार की ओर से एनजीटी के समक्ष नहीं रखी।
सर्वे में ग्रीन बेल्ट के दायरे में आए थे बिल्डर
भूमिका रेसीडेंसी और अल्टीमेट प्लाजा की बिल्डिंग और पार्क का हिस्सा ग्रीन बेल्ट के दायरे में है। नदी के किनारे रिटेनिंग वॉल बनाकर अतिक्रमण किया गया है।सागर प्रीमियम टावर का कुछ हिस्सा 33 मीटर के दायरे में आ रहा है, साथ ही पार्क और बाउंड्रीवॉल भी ग्रीन बेल्ट में आ रहा है। सिग्नेचर 99 की रिटेनिंग वॉल सहित संपवेल टैंक और पार्क की जमीन अतिक्रमण के दायरे में है। विरासा हाइट्स द्वारा नदी का भराव करते हुए रिटेनिंग वॉल और पार्क का निर्माण किया गया है। आम्रवैली के पास नदी का भराव कर रिटेनिंग वॉल बनाकर नदी को डायवर्ट किया गया है। आईबीडी के किनारे नदी में दीवार खड़ी कर संकरा किया गया है। सर्वधर्म ए और बी सेक्टर में 50 से अधिक मकान आए थे।
आदेश के बाद बिल्डरों ने नदी को खुद के निर्माण को 33 मीटर से बाहर दिखाने के लिए नदी का भराव करवा दिया। निगम प्रशासन ने पूर्व में नदी में किए गए मलबे के भराव को हटाने की कार्रवाई कि लेकिन दोषी बिल्डरों से खर्च नहीं वसूला गया और न ही कार्रवाई हुई।
सर्वधर्म के रहवासियों ने एनजीटी में पुर्नविचार याचिका लगाई, जिसमें कहा कि सर्वधर्म ए और बी सेक्टर प्लानिंग एरिया से बाहर हैं। इस पर सुनवाई चल रही है। नदी का आधा अधूरा सीमांकन और मुनारे लगाए गए।
अपर आयुक्त नगर निगम मलिका निगम नागर ने कहा एनजीटी के आदेश का पालन करने के लिए कमेटी बनाई गई है। जिन लोगों नोटिस का जवाब नहीं दिया था, उन्हें दोबारा नोटिस जारी कर सुनवाई की मोहलत दी गई है। सभी का पक्ष सुनने के बाद कमेटी अंतिम निर्णय लेगी।
सर्वधर्म बी सेक्टरके निवासी मो.हबीब खान का कहना है सर्वधर्म के लोग पूर्व में नोटिस का जवाब दे चुके हैं, लेकिन निगम बार बार नोटिस देकर लोगों को परेशान कर रहा है। कॉलोनाइजर को नोटिस ले आउट की जांच की जानी चाहिए इस तरह व्यक्गित नोटिस देने का क्या औचित्य है। सर्वधर्म मास्टर प्लान के प्लानिंग एरिया से बाहर है, फिर भी बार बार अतिक्रमणकारी कहा जा रहा है।
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