समय महिला IAS अफसरों का काफी बोलबाला है। इसी सूची में एक नाम आता है मप्र की IAS छवि भारद्वाज का। अब तक हार्ड कोर नक्सली इलाके से सटे जिले की कलेक्टर रहीं छवि भारद्वाज के काम को देखते हुए मप्र सरकार ने राजधानी भोपाल की कमान दे दी है। छवि ने सोमवार को भोपाल नगर निगम के कमिश्नर पद का कार्यभार संभाल लिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने smart city को प्राथमिकता पर रखा है। छवि की पहचान दबंग, निडर और होनहार अफसर के रूप में हैं।
रिश्वतखोर को पकड़वाया था
अक्टूबर 2013 में छवि डिंडोरी की कलेक्टर बनीं और कुछ ही दिनों में उनके पास डिंडौरी निगम परिषद के सीएमओ ने फाइल पर साइन करने के लिए 50 हजार रुपए का लिफाफा पकड़ा दिया। छवि ने तत्काल पुलिस बुलाई और सीएमओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। कलेक्टर बनने के महीने भर के अंदर उठाए इस कदम से उनकी 'छवि' दबंग कलेक्टर के रूप में बन गई।
डिंडौरी जिले की सबसे ज्यादा समय तक कलेक्टर रहने का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम है। मप्र के अादिवासी जिले अौर बेहद पिछले माने जाने वाले डिंडौरी जिले ने छवि भारद्वाज के आने से पहले पिछले 17 साल में 15 कलेक्टर देखे थे। छवि लगभग ढाई साल तक डिंडौरी की कलेक्टर रहीं। छवि बताती हैं कि लोग कहते थे कि डिंडौरी में सोशल लाइफ ज्यादा नहीं है, इसलिए यहां रहना मुश्किल है।
आदिवासी बच्चों के लिए सरकारी खर्चे पर आईआईटी और मेडिकल परीक्षा की तैयारी करवाने वाली कोचिंग शुरू करने के लिए भी छवि देश भर में जानी गईं। छवि बताती हैं कि डिंडौरी के बैगा आदिवासी बच्चों में टेक्नीकल एप्टीट्यूड वाले बच्चों को ढूंढकर जिला मुख्यालय पर उन्हें कोचिंग दी जाती थी। पिछले साल इनमें से 10 बच्चों ने आईआईटी एडवांस के लिए क्वालीफाई भी किया था। कोटा की प्रसिद्ध कोचिंग इंस्टीट्यूट के टीचर उन बच्चों को पढ़ाते थे।
छवि बताती हैं कि डिंडौरी कलेक्टर के लिए सब कुछ आसान नहीं होता है। यह जिला छत्तीसगढ़ के उन इलाकों से सटा है, जहां नक्सलियों की समानांतर सत्ता चलती है। हमेशा यहां नक्सली गतिविधियों की आशंका रहती है। इसलिए आदिवासी बच्चों की शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान दिया, ताकि बेराेजगारी की स्थिति में वे नक्सलियों की तरफ आकर्षित न हों। सरकारी रिकॉर्ड में डिंडौरी में नक्सलियों की आखिरी बार गतिविधि 2005 में दर्ज की गई है।
डिंडौरी कलेक्टर रहने के दौरान छवि को अकसर अपने परिवार से भी दूर रहना पड़ता था। उनके पति नंदकुमारम भी मप्र कैडर के आईएएस हैं। 2015 से अब तक वे डिंडौरी से काफी दूर नीमच और भोपाल में पदस्थ रहे। छवि के मुताबिक भोपाल में अब वे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर सबसे ज्यादा फोकस करेंगी। इसके साथ ही भोपाल में परिवार के साथ भी रह सकेंगी।
2008 बैच की आईएएस छवि ने बताया कि उन्होंने जिले के आदिवासियों को जंगल में रहने का अधिकार दिलाया। ऐसा करने वाला डिंडौरी देश का पहला जिला है।पदभार ग्रहण करने के बाद छवि भारद्वाज ने कहा कि बार-बार रिव्यू करना मेरी वर्किंग स्टाइल है। मुझे लगता है कि इससे काम ज्यादा बेहतर और समय पर हो सकता है।छवि भारद्वाज ने कहा कि मुझे थोड़ा सा समय दीजिए, बोलने से ज्यादा मुझे काम करने में विश्वास है। मेरा काम जरूर बोलेगा।
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