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भाेपाल । प्रदेश में 6592 वनरक्षकों से 162 करोड़ रुपये की वसूली की जा रही है। मैदानी अधिकारियों ने वसूली की राशि तय कर प्रत्येक माह वेतन से कटाैती करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इससे वनरक्षकों में गुस्सा है। इसकाे लेकर मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी वन विभाग के ऑडिट पर सवाल उठाया है। उन्हाेंने सरकार से वनरक्षकाें से वसूली के आदेश काे वापस लेने की मांग की है।
कमलनाथ ने रविवार काे अपने साेशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पाेस्ट कर लिखा, "मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने प्रदेश में वर्तमान में सेवारत वनरक्षक (फॉरेस्ट गार्ड) से लगभग 145 करोड़ रुपये की वसूली निकाली है। यह राशि उनके वेतन से वसूल किए जाने के आदेश जारी हुए हैं। यह राशि उनके वेतन में पिछले 18 वर्षों से लगातार हो रहे भुगतान से वसूल करने के निर्देश वित्त विभाग ने जारी किए हैं। प्रदेश के 6592 वन रक्षकों से लगभग 145 करोड़ की वसूली प्रस्तावित है"।
कमलनाथ ने आगे कहा, "सरकार का कहना है कि वर्ष 2006 से कार्यरत वनरक्षकों ने अपने वेतन में (ग्रेड पे के आधार पर) अधिक राशि ले ली है। वर्ष 2006 से कार्यरत वनरक्षकों से लगभग 5 लाख रुपये और वर्ष 2013 से कार्यरत वनरक्षकों से डेढ़ लाख रुपये की वसूली किए जाने के आदेश जारी हुए हैं। जबकि शासन की व्यवस्था में एजी( Auditor General) ऑफिस, ग्वालियर हर साल ऑडिट करता है तो आखिर कैसा ऑडिट एजी ग्वालियर द्वारा पूरे प्रदेश में वन विभाग में किया गया?"
पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कि इसके अलावा बुनियादी सवाल यह है कि सरकार ने जो वेतन वन रक्षकों को दिया, वह वेतन वन रक्षकों ने स्वीकार किया। ऐसे में अगर कोई गलती की है तो वह सरकार ने की है, लिहाज़ा इसका कोई भी दंड वन रक्षकों की जगह सरकार को मिलना चाहिए।
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