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कोलार के कारण बदलेगा मास्टर प्लान
कोलार के कारण बदलेगा मास्टर प्लान
भोपाल नगर निगम के दायरे में होने वाले विस्तार और कोलार के विलय के कारण अब भोपाल के मास्टर प्लान के प्लानिंग एरिया में भी बदलाव करना जरूरी हो गया है। इस बढ़े हुए क्षेत्र के लिए अब मास्टर प्लान 2031 के मसौदे में भी संशोधन करने होंगे। नए सिरे से आबादी का अनुमान लगा कर रोड नेटवर्क, सीवेज, ड्रेनेज आदि के संबंध में नई योजना बनाना पड़ेगी । साथ ही बढ़े हुए क्षेत्रों में अनियोजित विकास को रोकने के लिए भी जल्द ही संशोधित मसौदे का प्रकाशन करना होगा। शहरी नियोजन से जुड़े विशेषज्ञ मेट्रोपॉलिटन कमेटी के बाद प्लानिंग एरिया में इजाफे को अब दूसरा अहम कदम बता रहे हैं। भोपाल में अभी प्लानिंग एरिया 812 वर्ग किमी है। यह नए मास्टर प्लान के लिए मार्च 2006 में लागू हुआ था। निगम का मौजूदा क्षेत्र 285 वर्ग किमी है, जिसे अब 937 वर्ग किमी किया जा रहा है। यह प्लानिंग एरिया से 125 वर्ग किमी ज्यादा है। यानी वर्तमान में यह क्षेत्र टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) द्वारा तैयार मास्टर प्लान के मसौदे से बाहर है। लिहाजा यहां कोई प्लानिंग नहीं है। अब नगर निगम को भी इस क्षेत्र में विकास के प्रोजेक्ट बनाने व बिल्डिंग परमिशन देने के लिए मास्टर प्लान की जरूरत होगी। इसलिए, नई निगम सीमा लागू होने पर टीएंडसीपी को इस बारे में फैसला लेना होगा। हालांकि टीएंडसीपी के अफसर निगम सीमा विस्तार की अधिसूचना जारी होने का इंतजार कर रह हैं। उनके मुताबिक जल्द ही शासन से सलाह लेकर निवेश क्षेत्र बढ़ाने की कवायद की जा सकती है।टीएंडसीपी के अधिकारियों ने वर्तमान प्लानिंग एरिया के हिसाब से मास्टर प्लान का मसौदा तैयार कर रखा है। अब यदि इसमें बदलाव हुआ या फिर नए निवेश क्षेत्र को लागू करने का फैसला लिया गया तो इसके हिसाब से मसौदे को बनाने में डेढ़ से दो साल का वक्त लग सकता है।ऐसे में अफसर बढ़े हुए प्लानिंग एरिया को अलग से अधिसूचित कर उसके लिए अलग से मास्टर प्लान बना सकते हैं। इसमें सीहोर, मंडीदीप और भोपाल मास्टर प्लान के साथ तालमेल कर रोड नेटवर्क और अन्य विकास के प्रावधान किए जा सकते हैं। सीहोर रोड पर फंदा प्लानिंग एरिया में नहीं है और न ही अभी निगम के नए विस्तार में इसे शामिल किया गया है। जबकि यहां पर तेजी से नई कॉलोनी, फार्म हाउस बन रहे हैं और प्लॉटिंग हो रही है। वजह यह है कि अभी बिल्डरों को यहां न तो रोड नेटवर्क के लिए जगह छोड़नी है और न ही लैंडयूज देखना है।उन्हें कृषि जमीन पर कॉलोनी बनाने के लिए आसानी से जिला प्रशासन से अनुमति मिल रही है। अब तक यहां 18 प्रोजेक्ट्स को अनुमति मिल चुकी है। लेकिन इससे विकास अनियोजित हो गया है। ठीक यही स्थिति मंडीदीप से औबेदुल्लागंज और विदिशा रोड पर भी है।
Other Source 2016/05/08

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