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एमपी के जल संसाधन और जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के पेड न्यूज मामले में चुनाव आयोग के फैसले का गजट नोटिफिकेशन होने के बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता पर कानूनविद सवाल खड़े कर रहे हैं। कानूनविद और पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ब्रह्मा का मानना है कि नोटिफिकेशन के साथ ही नरोत्तम मिश्रा की सदस्यता समाप्त हो गई है, लेकिन मंत्री मिश्रा का कहना है कि सदस्यता खत्म करने का अधिकार राज्यपाल को है। हालांकि कानूनविद इस दावे को गलत ठहरा रहे हैं।
नरोत्तम ने कहा
चुनाव आयोग ने 2008 से 2013 की सदस्यता को पूरी तरह से नहीं समझाया है। इसे विषय को और खोलना था। हाईकोर्ट सब कुछ साफ कर देगा। अभी मैं विधायक भी हूं और मंत्री भी। चुनाव आयोग को सदस्यता खत्म करने का अधिकार ही नहीं है। चुनाव आयोग इस मामले को सीधे राज्यपाल को नहीं भेज सकता। उसे विधानसभा अध्यक्ष को भेजा जाता है। फिर अध्यक्ष कानूनी सलाह लेकर कैबिनेट के जरिए राज्यपाल को भेजते हैं।
ब्रह्मा बोले
चुनाव आयोग ने यदि गजट नोटिफिकेशन कर दिया है तो इसका मतलब है कि मंत्री की विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई है। भले ही उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगाई हो। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर स्टे नहीं दिया है, इसलिए अभी चुनाव आयोग के फैसला ही तामील माना जाएगा। हाईकोर्ट में केस चलता रहेगा, लेकिन तब तक वे विधानसभा के सदस्य नहीं रह सकते। चुनाव आयोग को पेड न्यूज के मामले में सदस्यता खत्म करने का अधिकार है, हमने उप्र की विधायक उर्मिलेश यादव के मामले में ऐसा ही किया था। बाद में हाईकोर्ट ने भी उर्मिलेश यादव की याचिका खारिज कर दी थी।
नरोत्तम की विधायकी खत्म मानी जानी चाहिए: सुभाष कश्यप
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का मानना है कि चुनाव आयोग द्वारा नोटिफिकेशन जारी करने के बाद नरोत्तम मिश्रा की विधायकी खत्म मानी जानी चाहिए। पेड न्यूज के मामले में अधिकार चुनाव आयोग के पास ही हैं।
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