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भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवे दिन शुक्रवार को सदन शुरू होते ही जल जीवन मिशन को लेकर विपक्ष ने सदन में हंगामा किया। विपक्ष सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर सदन से वॉकआउट कर गया।
कांग्रेस के विधायकों ने कहा कि जल जीवन मिशन में जमकर घोटाला हुआ है। गुणवत्ताहीन पाइपलाइन डाली गई है। कई इलाके ऐसे जहां अभी तक नहीं पाइपलाइन बिछाई ही नहीं गई है। केवल टंकियां बना दी गई हैं। लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है। हम बार-बार इस मुद्दे को सदन में उठा रहे हैं, लेकिन सरकार सुनना नहीं चाहती। इस मामले पर बीजेपी के सत्ता पक्ष के विधायकों हरदीप सिंह डंग, पूर्व मंत्री प्रभु राम चौधरी और पूर्व मंत्री संजय पाठक ने भी सवाल उठाए।
मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के लिए कार्यसूची में एक अशासकीय संकल्प को शामिल किया गया है। मोहन सरकार अब अनुच्छे 30 को खत्म करने की तैयारी कर रही है। जिसके अंतर्गत प्रदेश में संचालित मदरसों को बंद की तैयारी के तौर पर देखा जा रह है। भाजपा विधायसक अभिलाष पांडेय द्वारा यह अशासकील संकल्प लाया जाएगा। यह संकल्प अल्पसंख्यकों को धार्मिक या भाषाई आधार पर शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और उसके प्रबंधन के अधिकार को समाप्त करेगा।
भाजपा विधायक अभिलाष पांडे ने कहा कि मैं एक अशासकीय संकल्प लेकर आ रहा हूं जो संविधान की धारा-30 है। जो बच्चे मदरसों में पढ़ते हैं उन्हें हायर एजुकेशन के लिए दसवीं और बारहवीं में ओपन से पढ़ाई करनी पड़ती है। मैं ये मानता हूं कि हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बात करते हैं, हम समान एजुकेशन की बात करते हैं। मैं चाहता हूं कि माइनॉरिटी के बच्चे समान शिक्षा नीति के साथ पढ़ाई करें। सभी समाजों के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। विपक्ष विकास के मुद्दे पर भी खुश नजर नहीं आया। उसका काम विरोध करना है। मेरे पास कई ऐसी चीजें हैं, जिनसे पता चलता है कि मदरसों में क्या गतिविधियां होती हैं। प्रशासनिक सेवाओं में अल्पसंख्यकों की बड़ी संख्या बढ़ी है। हम उनको समाज की मूल धारा से जोड़ना चाहते हैं। इसलिए अशासकीय संकल्प में लेकर आ रहा हूं।
अशासकीय संकल्प पर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि धारा-30 का दुरुपयोग हुआ है। अब इसके रिव्यू का समय आ गया है। सरकार निश्चित तौर पर इसका रिव्यू करेगी। अल्पसंख्यक का दर्जा लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए दिया गया है, न कि व्यवसाय में लाभ कमाने के लिए। जो मदरसे सरकार की देखरेख में चल रहे हैं उनकी कोई बात नहीं। लेकिन, जो अवैध तौर पर संचालित हो रहे हैं उन पर नकेल कसी जानी चाहिए।
इधर मदरसों को लेकर आए अशासकीय संकल्प पर आतिफ अकील भड़के है। उन्होंने कहा- मासूम बच्चे मदरसों में पढ़ते हैं। उनके खाने पीने की ठीक से व्यवस्था नहीं हो पाती। उनके प्रिंसिपल चंदा करके व्यवस्था करते हैं। उनका जीवन यापन कराते हैं, उनको पढ़ाते हैं। शर्म आनी चाहिए सरकार को। यह वायरस इन लोगों के दिमाग में घुसा है, उसको निकालना पड़ेगा।
वहीं पूर्व मंत्री उठा ठाकुर ने कहा है कि मरदसों को बंद कर दिया जाना चाहिए। प्रदेश में ऐसे कई मदरसे है जो शिक्षा विभाग की बिना अनुमति के संचालित हो रहे है। इन मदरसें में छोटे—छोटे कमरे है। कई मदरसों से मानव तस्करी और बंधुआ मजदूरी की शिकायते समाने आ चुकी है। मदरसों में देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है। ऐसे मदरसों का बंद करना ही उचित होगा।
मदरसों के मुद्दे पर भोपाल हजूर से भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि शिक्षा देना मना नहीं है चाहे मदरसे हो या कोई स्थान, लेकिन शिक्षा पद्धति में संविधान, भारत का सम्मान, सेना का सम्मान, भारत माता की जयकार और राष्ट्रगान होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं तो मदरसों को बंद कर देना चाहिए।
मदरसों को बंद करने के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा की वे ऐसे विषयों पर कोई चर्चा नहीं करना चाहते है। हम जनता के मुद्दों पर बात करना चाहते है। मैं ऐसी बातों पर विश्वास नहीं करता और ना ही बात करना चाहता हूं।
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