कोलार बांध को पूरा भरने नौ मीटर पानी की दरकार
भोपाल में बारिश ठीक ठाक हो रही है इसके बावजूद कोलार बांध का पेट अभी नहीं भरा है ,कोलर बांध लबालब हो इसके लिए तेज बारिश की दरकार है। मध्यप्रदेश के कई इलाकों में हो रही तेज बारिश से भले ही पुल-पुलियों के ऊपर पानी आ गया हो पर प्रमुख बांधों का पेट अभी खाली है। इसे भरने के लिए नौ से लेकर दो मीटर तक पानी की जरुरत है । एमपी में अब तक इस सीजन में बरगी और गोपीकृष्ण के फाटक खोले जा चुके हैं।सिंचाई और बिजली उत्पादन के मद्देनजर महत्वपूर्ण माने जाने वाले एक दर्जन से ज्यादा बांधों में अभी जलस्तर संतोष के स्तर तक नहीं पहुंचा है। नर्मदा पर बने बरगी के दरवाजे कैचमेंट एरिया में हुई जोरदार बारिश के चलते भले ही खोल दिए गए हों पर फुल टैंक लेवल (422.76 मीटर) तक के लिए दो मीटर पानी की दरकार है। बांध से जबलपुर के आसपास के जिलों में नहर के जरिए सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जाता है।यहां करीब 20 मेगावॉट बिजली भी पैदा की जाती है। इसी तरह भोपाल के बड़े हिस्से की प्यास बुझाने का इंतजाम करने वाले कोलार बांध (462.20 मीटर) को पूरा भरने नौ मीटर पानी की दरकार है। केरवा बांध जरूर पूरा भरने के करीब पहुंच गया है। यहां फुल टैंक होने के लिए करीब डेढ़ मीटर बचा है।विदिशा का सम्राट अशोक सागर करीब दो मीटर, झाबुआ का माही दो मीटर, गुना का गोपीकृष्ण एक मीटर, शिवपुरी का मनीखेड़ा सवा दो मीटर, होशंगाबाद का तवा चार मीटर, रायसेन का बारना एक मीटर, खंडवा का इंदिरा सागर छह मीटर, खरगौन का औंकारेश्वर सात मीटर, शहडोल का बाणसागर तीन मीटर, सिवनी का संजय सरोवर तीन मीटर, बालाघाट का राजीव सागर तीन मीटर और मंदसौर का गांधी सागर करीब चार मीटर खाली है।जल संसाधन विभाग के मुताबिक बांधों को पूरा भरने के लिए कैचमेंट एरिया में झमाझम बारिश की दरकार है। बांध पूरे भर गए तो न केवल भरपूर बिजली पैदा होगी बल्कि सिंचाई के लिए सालभर पानी का संकट नहीं आएगा। ज्ञात हो कि कम बारिश की संभावना को देखते हुए सरकार ने कृषि उत्पादन आयुक्त को जल संसाध्ान विभाग के अफसरों के साथ बैठक करके खेती के लिए पानी रिजर्व करने की रणनीति पर काम कर रही है।