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कोलार डेम से शहर को पानी की आपूर्ति करने वाली पाइप लाइन के लिए 138 करोड़ रुपए मंजूर हो चुके हैं, लेकिन वन विभाग की अनुमति न मिलने के कारण इस पर काम शुरू नहीं हो पा रहा है। कोलार परियोजना की पुरानी पाइप लाइनों के स्थान पर नई बिछाना जरूरी है क्योंकि 30 साल पुरानी पीएससी पाइपलाइनें क्षतिग्रस्त हैं इस कारण रोजाना लाखों गैलन पानी लीकेज से बहकर बर्बाद हो जाता है।
पाइप लाइन में बड़ा लीकेज होने पर फॉल्ट को दुरुस्त करने के लिए किसी न किसी इलाके में जलापूर्ति बंद करना पड़ती है, इससे निजात मिल सकेगी। इसके निर्माण का काम टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड को दिया गया है जिसको यह काम 24 माह में पूरा करना है। कोलार डेम से शहर के विभिन्न हिस्सों में फैली लगभग 59 किलोमीटर ( 58 हजार 910 मीटर) लंबी ग्रेविटीमेन और फीडरमैन पीएससी पाइपलाइनों को बदला जाना है। लाइन बिछने के बाद इस दिशा में काम होगा। कोलार डेम से आने वाली पाइप लाइन में से कोलार को पानी देने के लिए 56 करोड़ की अलग से प्लानिंग की गई है। इसके तहत वहां पर चार ओवर हेड टैंक बनाए गए हैं। नई पाइप लाइन से यह टैंक भरेंगे और उनसे पानी बांटा जाएगा।
कोलार डेम से भोपाल की राह में 20 किमी की राह में जंगल है। यहां से पाइप लाइन निकालने के लिए वन विभाग की अनुमति जरूरी है। निगम ने इसकी प्लानिंग कर ली है और यह प्रयास किया है कि पाइप लाइन के रूट में कम से कम पेड़ काटे जाए। जो पेड़ काटे जाएंगे उसकी एवज में 10 गुना अधिक प्लान्टेशन भी आसपास के क्षेत्र में करने की तैयारी है।
केन्द्र सरकार ने 138 करोड़ रुपए कोलार पाइप लाइन के लिए मंजूर किए हैं। कोलार से 30 एमसीएम मिलियन क्यूबिक मीटर पानी लिया जाता है। शहर के लिए 3 एमजीडी मिलियन गैलन पर डे पानी लिया जाता है। 2019 में खत्म हो जाएगी कोलार की मौजूदा पाइप लाइन की उम्र। 38 किमी दूरी से आता है पानी
अधीक्षण यंत्री जल विभाग नगर निगम एआर पंवार का कहना है कोलार की नई पाइप लाइन को बिछाने का काम तेजी से किया जा रहा है। इसकी प्रापर मॉनिटरिंग भी की जा रही है। वन विभाग से अनुमति मिलते ही उस रूट को भी क्लियर कर दिया जाएगा।
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