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भोपाल के आसपास घूमने वाले बाघों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए एक बार फिर वन विभाग प्लानिंग कर रहा है। इससे पहले विभाग ने बाघों के क्षेत्र को रोकने के लिए केरवा के जंगलों के पास जालियां लगाई थीं, लेकिन जालियों में पर्यटकों द्वारा बनाए गए छेदों से बाघ ने निकल कर एक गाय पर हमला किया था। इसके बाद यह प्लॉन भी खतरनाक माना जा रहा है। वन विभाग द्वारा बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ट्रैप कैमरों से उनकी पहचान कर उन्हें नाम भी दिया जा रहा है। टाइगर रिजर्व में घूम रहे बाघों को उनके पैरों के निशानों से पहचाना जाता है। असंरक्षित क्षेत्र के बाघों की कोई पहचान न होने से उनके न्यूमेरिक नामों में गड़बड़ हो जाती है। भोपाल के नजदीक घूम रहे बाघों की साइंटिफिक और ट्रेप कैमरे से पहचान की गई है। उनका चार्ट भी बनाया जा रहा है। इस डेटा को वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट को भेजा जाना है।
वर्तमान में केरवा, मिंडोरा व क्षेत्र में बाघ 211 और बाघिन 213 का मूवमेंट लगातार एक माह से यहां बना हुआ है। इन पर नजर रखी जा रही है। विभाग ने बाघ जंगल से बाहर न आए इसके लिए वॉटर सोर्स की सुरक्षा और इलेक्ट्रिसिटी लाइन को चेक करने के निर्देश दिए हैं। क्योंकि वन्य प्राणी पानी पीने जाते हैं और शिकारी शिकार कर लेते हैं। पहले यह बात सामने आ रही थी कि भोपाल में 4 या 5 बाघ हैं। जब इनकी ट्रैप कैमरों, विष्ठा और ई-सर्विलांस माध्यम से गणना की गई तो दस वयस्क बाघ की संख्या सामने आई। चार बाघ अभी अवयस्क हैं। इनको गणना में नहीं लिया जाता। ये शावक बाघिन 124 के हैं।
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