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पिछली बारिश में कोलार इलाके में जल भराव के कारण हालात ख़राब हो गए थे। कुछ इलाकों में कलियासोत नदी के पानी ने तबाही के मंजर दिखा दिए थे। तब राजनेता राजनीति करके चलते बने कोलार का ख्याल किसी को नहीं है। कोलार जैसे हालात भोपाल के अधिकांश इलाकों के हैं।
नेता एक बार फिर जहाँ बारिश से तबाही का इंतजार कर रहे है वहीँ एनजीटी ने आगामी मानसून सीजन में बाढ़ के हालात से नगर निगम को फिर से आगाह करते हुुए इस दिशा में उठाए जा रहे कदमों की जानकारी तलब की है।
ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पर्यावरणविद् सुदेश्वरराव वाघमारे की याचिका पर सुनवाई करते हुए नगर निगम से 27 मई तक बाढ़ रोकने की योजना पेश करने को कहा है। गौरतलब है कि वर्ष 2016 में 8 व 9 जुलाई को राजधानी के अधिकांश इलाकों में बाढ़ के हालात बने थे, इस दौरान नालों में बह जाने से 7 लोगों की जान चली गई थी। नालों पर अतिक्रमण और गाद जमा होने के कारण बाढ़ ने भयानक रूप लिया था।
ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जूरी ने नगर निगम से पूछा है कि पिछले साल जैसे हालात रोकने नगर निगम ने नालों से अतिक्रमण हटाने और गाद की सफाई के लिए क्या किया जा रहा है, इसका वार्डवार ब्यौरा पेश किया जाए। इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रतिवादी बनाकर राजधानी में लगे सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाली गाद के डिस्पोजल पर रिपोर्ट मांगी है। ट्रिब्यूनल ने पूछा है कि वर्तमान में एसटीपी से निकाली जा रही गाद आखिर किन नालों में बहाई जा रही है? भोपाल के सभी एसटीपी से कितनी गाद निकलती है और इस गाद के इस्तेमाल का वैकल्पिक प्लान क्या है? यह रिपोर्ट भी 27 मई तक ही पेश करनी होगी।
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