नर्मदा नदी के लिए मुसीबत बनी एजोला की तर्ज पर पिस्टिया नामक जलीय वनस्पति ने राजधानी के शाहपुरा तालाब को अपनी चपेट में ले लिया है। पिछले 15 दिनों में पिस्टिया ने तालाब के करीब 30 फीसदी क्षेत्र को कवर्ड कर लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते इस वनस्पति को नहीं निकाला गया तो यह शाहपुरा समेत आसपास के दूसरे तालाबों का भी पानी कम कर देगी। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि पिस्टिया की पत्तियों से सामान्य पौधों की पत्तियों की तुलना में पानी का अधिक वाष्पीकरण होता है। यह जलीय जीवों के लिए भी हानिकारक होती है।
विशेषज्ञों का कहना है अधिक गर्मी के दौरान पिस्टिया गंदे पानी में या गंदे पानी के साफ पानी में मिलने के कारण पनपती है। शाहपुरा तालाब के पानी की स्थिति भी ठीक नही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की साल 2015-16 की रिपोर्ट के मुताबिक तालाब का पानी खराब क्वालिटी (ई-श्रेणी में शामिल) का हैं जिसके कारण पिस्टिया ने अपनी जड़े जमा ली है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या से समय रहते नहीं निपटा गया तो यह बड़े तालाब सहित अन्य तालाबों में भी फैल सकती है।
शाहपुरा तालाब में फैल रही इस जलीय वनस्पति के फायदे कम और नुकसान अधिक है। बेनजीर कॉलेज में प्राणी शास्त्र के प्रोफेसर मुकेश दीक्षित ने बताया कि यह वनस्पति तेजी से ग्रोथ करती है जिसकी पत्तियों से पानी का वाष्पीकरण अधिक होता है, यह पानी की सतह को कवर्ड कर लेती है जिसके कारण आक्सीजन पानी में नहीं घुल पाती, सूर्य कि किरणे भी प्रवेश नहीं करती। जिसके कारण जलीय जीवों को नुकसान होता है। साथ ही यह पानी में अन्य वनस्पतियों को पनपने नहीं देती। उन्होंने बताया कि इसमें नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है जिसका फर्टीलाइजर के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
इधर, जानकारी लगते ही नगर निगम ने तालाब से इस वनस्पति को हटाने का अभियान शुरू कर दिया है।तालाब को पूरी तरह पिस्टिया मुक्त करने के लिए कम से कम एक सप्ताह लगेगा।