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हमारे यहाँ महंगी बिजली क्यूँ
 महंगी बिजली

 

राज्य सरकार ने निजी कंपिनयों को फिक्स चार्ज के हर्जाने के रूप में 3376 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि सरप्लस बिजली को 2.60 रुपए प्रति यूनिट में बेचकर 4 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदने के कारण 2100 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। इधर ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने इस मसले पर कहा कि हम चाहकर भी अनुबंध नहीं तोड़ सकते हैं। 

आम आदमी पार्टी का कहना है कि बिजली कंपनियां दस साल के पुराने घाटे की भरपाई बिजली उपभोक्ताओं से करने जा रही है। यह घाटा करीब 2244 करोड़ रुपए है। इस कारण आमजन को महंगी बिजली मिल रही है। उन्होंने कहा कि इस राशि को सरकार बचा ले तो उपभोक्ताओं को 30 फीसदी सस्ती बिजली मिल सकती है।

आप के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने आरोप लगाया कि जिन कंपनियों से 25 साल बिजली खरीदी का एमओयू किया गया है, उनसे 2.60 रुपए प्रति यूनिट से ज्यादा दर होने पर बिजली नहीं खरीदने का फैसला हुआ है।

इन कंपनियों में जेपी बीना पॉवर की दर 2.61 रुपए और झाबुआ पॉवर सिवनी की 2.80 रुपए प्रति यूनिट होने के कारण इन कंपनियों से बिजली नहीं खरीदी गई व फिक्स चार्ज के रूप में क्रमश: 452 करोड़ रुपए और 229 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया, वहीं लेंको अमरकंटक को 285 करोड़ रुपए का फिक्स चार्ज दिया गया, जबकि कंपनी के अनुबंध में फिक्स चार्ज की शर्त नहीं थी और न ही विद्युत नियामक आयोग ने इस प्लांट से बिजली खरीदने की कोई दर तय की है।

ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने बताया  निजी और सरकारी कंपनियों से हुए एमओयू के कारण आवश्यक बिजली ही ले रहे हैं, जबकि विद्युत उत्पादन मांग से ज्यादा है। एमओयू के समय पूरे देश में कई राज्यों ने ऐसे ही मप्र की तरह ही अनुबंध किए थे और वहां भी यही स्थिति बन रही है। हम चाहकर भी अनुबंध तोड़ नहीं सकते। दूसरे राज्यों में उद्योगों की खपत बढ़ने से यह समस्या कम है मगर मप्र में तुलनात्मक रूप से उद्योग कम लगे हैं। अब नए और पुराने उद्योगों को बिजली में छूट दी जा रही है और रेलवे को भी बिजली में छूट देने का फैसला हुआ है जिससे सरप्लस बिजली की खपत बढ़ेगी। 

 

Kolar News 5 April 2017

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