क्या अब निरस्त होगी भोपाल में कोलार के विलय की अधिसूचना
हाईकोर्ट ने जबलपुर और छिंदवाड़ा की अधिसूचनाएं ख़ारिज कीं जबलपुर हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में जबलपुर और छिंदवाड़ा नगर निगम में गांवों को शामिल करने के संबंध में अधिसूचनाएं खारिज कर दीं। जिस आधार पर यह फैसला हुआ है, उससे भोपाल नगर निगम में कोलार नगरपालिका और 20 गांवों के विलय की अधिसूचना खारिज हो सकती है। भोपाल के संबंध में कोर्ट में दायर इसी तरह की याचिका का फैसला 11 नवंबर को होगा। जबलपुर और छिंदवाड़ा का निर्णय भोपाल के मामले में भी लागू होने पर यहां दिसंबर में होने वाले निगम चुनाव टल सकते हैं। वार्डों की संख्या, सीमा व आरक्षण भी दोबारा तय करना पड़ेगा। चीफ जस्टिस एएम खानविलकर व जस्टिस शांतनु केमकर की पीठ ने कहा कि किसी भी निगम सीमा बढ़ाने पर आपत्तियों पर सुनवाई कर फैसला देना राज्यपाल का संवैधानिक अधिकार है। इसे कलेक्टरों को नहीं सौंपा जा सकता। पीठ ने आपत्तियों को सुनवाई व निर्णय के लिए राज्यपाल के पास भेजने के निर्देश दिए। यह था सरकार का तर्क : राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि वह राज्यपाल के अधिकार कलेक्टरों को सौंप सकती है। ऐसे में इस कार्रवाई को गलत नहीं कहा जा सकता। जबकि युगलपीठ ने कहा कि मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 और नगर पालिका अधिनियम 1961 में किसी भी अन्य क्षेत्र को जोड़ने या हटाने की व्यवस्था दी गई है। इसके तहत राज्यपाल द्वारा जारी प्रारंभिक अधिसूचना के उपरांत की गई आपत्तियों को संबंधित कलेक्टर निराकरण के लिए राज्यपाल के पास सुनवाई व निर्णय के लिए भेजे जाएंगे। हाईकोर्ट ने यह फैसला जबलपुर के ग्राम जमतरा निवासी अजय यादव, मानेगांव निवासी दलिवन्दर सिंह और छिंदवाड़ा के अभिषेक महोरे की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनाया। इन मामलों में जबलपुर और छिंदवाड़ा जिले के गांवों को वहां के क्रमश: नगर निगम और नगर पालिका में जोड़े जाने को लेकर विगत 25 जुलाई को जारी की गई अधिसूचना को चुनौती दी गई थी।