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भोपाल से सटे जंगल में 8 बाघों से परेशानी क्यों
भोपाल  8 बाघों से परेशानी

जब मुंबई जैसी घनी आबादी के बीच 35 तेंदुए रह सकते हैं तो राजधानी से सटे जंगल में 8 बाघ क्यों नहीं? यह बात पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जितेंद्र अग्रवाल ने कही। वे राजधानी से सटे कोलार ,केरवा ,कलियासोत जंगल में बाघ और मानव के बीच टकराव की स्थिति न बने, इसको लेकरगई  बुलाई बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने मुंबई में तेंदुए का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 35 से अधिक तेंदुए हैं जो आबादी के बीच रहते हैं फिर भी वे न तो जनता को नुकसान पहुंचाते हैं और न ही जनता उन्हें नुकसान पहुंचाती है। हमारे यहां भी करीब 8 बाघ है जिन्होंने आज तक किसी को (मवेशियों को छोड़कर) नुकसान नहीं पहुंचाया। यह उनका स्वभाव है लेकिन हमें भी बाघों के प्रति सजग होना पड़ेगा। इसका एक ही तरीका है जंगल में जबरन प्रवेश करने से बचें, मवेशियों को खुला न छोड़े। इसके अलावा वन विभाग भी मैदानी स्तर पर अपनी तरफ से प्रयास कर रहा है। बैठक में गौशाला, शैक्षणिक संस्थाओं के संचालक, वन ग्राम से आए ग्रामीण, एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ आरपी सिंह, सीसीएफ भोपाल वीके नीमा, वाइल्ड लाइफ के रजनीश कुमार सिंह, भोपाल कंजरवेटर फॉरेस्ट डॉ. एसपी तिवारी, वन विहार की डायरेक्टर समिता राजौरा और वन्यजीवों के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था प्रमुखों ने सुझाव रखें।

स्कूल संचालकों ने कहा नगर निगम अमला शहर में घूमने वाले कुत्तों को राजधानी से सटे जंगल में छोड़ता है। जिनका शिकार करने तेंदुए व लकड़बग्घे आबादी तक पहुंच रहे हैं।

लॉस्ट विल्डरनेश फाउंडेशन की विद्या वैंकटेश व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की डायरेक्टर संगीता सक्सेना ने कहा राजधानी से सटे जंगल में शिकार की भरपूर उपलब्धता है जिसके कारण बाघ, तेंदुए को आसानी से शिकार मिल रहा है इसलिए वे बाहर आ रहे हैं।६+

बाघ मूवमेंट इलाके में तफरी करने वाले, पिकनिक मनाने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगाने और पेट्रोलिंग टीम का कहना न मानने वालों के खिलाफ जुर्माना लगाने का सुझाव वन विभाग को दिया गया है। जल्द ही इस पर अमल शुरू हो सकता है। दरअसल भोपाल से महज 10 किमी की दूरी पर कलियासोत केरवा में घूम रहे बाघों के मूवमेंट को लेकर चिंतित वन विभाग ने मंगलवार को वन विहार नेशनल पार्क में बाघ और इंसान के बीच संघर्ष को रोकने के विषय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें इलाके में स्थित संस्थानों, ग्रामीणों, डेयरी फॉर्म और मीडिया से सुझाव मांगे गए थे। 

कार्यशाला में मुंबई की लास्ट वाइल्डरनेस फाउंडेशन चीफ एडमिनिस्ट्रेशन अधिकारी विद्या वेंकटेश ने बताया कि लोगों को जानकार आश्चर्य होगा कि मुंबई जैसे महानगर में 36 तेंदुए हैं और वहां के लोगों ने इनके साथ जीना सीख लिया है। जब मुंबई के लोग बिग कैट के साथ रह सकते हैं  तो भोपाल के रहवासी क्यों नहीं। उन्होंने बाघ व तेंदुओं के मूवमेंट के दौरान कुछ सावधानी बरतने की टिप्स बताईं। इस अवसर पर पीसीसीएफ जितेंद्र अग्रवाल, एपीसीसीएफ आर पी सिंह, सीसीएफ विजय नीमा, एसजीओ रजनीश सिंह, वन विहार की डायरेक्टर समीता राजौरा, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की संगीता सक्सेना, फाउंडेशन की प्रोग्रामर भावना मेनन, पुष्पेंद्र द्विवेदी, कंजरवेटर एसपी तिवारी ने विभिन्न जानकारी दी। 

कार्यशाला में पहुंचे 80 वर्षीय किशन लाल ने बताया कि यहां पर बाघों का मूवमेंट नई बात नहीं है। वे बचपन से बाघों काे देखते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि गांव के सभी लोग जानना चाहते हैं कि बाघ इलाके में आए तो क्या करना चाहिए। शाहपुरा के अर्जुन जाटव, राजेश कुमार, दौलतपुर के नारायण प्रसाद और चंदनपुरा छावनी के कुंवरलाल यादव ने कहा बाघों के बीच रहते हुए उम्र हो गई। हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचा। केवल मवेशियों का शिकार हुआ है लेकिन शहर के कुछ लोग जबरन जंगल में प्रवेश कर रहे हैं ऐसे में बाघ हमला करेंगे।

क्या हो 

बाघों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए शहरवासियों की सहभागिता बढ़ाई जाए। वॉलेंटियर ग्रुप तैयार किए जाएं, जो लोगों को जागरूक कर सके। यहां घूम रहे बाघों और टोपोग्राफी पर रिसर्च होना चाहिए। बाघ मूवमेंट इलाके में पिकनिक मनाने पर प्रतिबंध लगना चाहिए। चौकियों की स्थापना की जाना चाहिए। शॉर्ट व लांग टर्म एक्शन प्लान जल्दी लागू किया जाना चाहिए। 

सुझाव

जुर्माना लगाओः दौलतपुर के ग्रामीण नारायण प्रसाद व अन्य ने कहा जंगल में कुछ युवा शाम के समय जबरन प्रवेश कर रहे हैं। हम मना करते हैं तो मारने की धमकी देते है। 10 बजे रात तक बाहर नहीं निकलते। ऐसे लोगों पर जुर्माना लगाना चाहिए।

युवा न सेल्फी लें: एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ आरपी सिंह ने कहा युवा जंगल में प्रवेश न करें। यदि जंगल से सटी सड़कों पर बाघ या कोई अन्य वन्यजीव दिखे तो सेल्फी न लें। जंगल में पार्टी मनाना छोड़ दें। बाघ या अन्य वन्यजीव दिखने पर झुकें न सीधे खड़े रहे। रात्रि में संभलकर चलें। वाहनों की स्पीड कम रखें।

बाघ मित्र बनाएं: वाइल्ड लाइफ के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था की विद्या वैंकटेश और संगीता सक्सेना ने कहा वन्यजीवों के नैचर को समझने वाले लोगों को बाघ मित्र बनाएं। वे दूसरे लोगों में जागरूकता लाएंगे।

 

Kolar News 29 March 2017

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