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गर्मी शुरू होते ही राजधानी से सटे जंगल में बाघ और तेंदुए का मूवमेंट बढ़ गया है। पिछले 10 दिन में चार मवेशी बाघ और तेंदुए का शिकार बन चुके हैं। यह स्थिति जंगल के भीतर शिकार और पानी की कमी के चलते बन रही है। बाघ और तेंदुए को कलियासोत और केरवा और कोलार के आसपास आसानी से पानी मिल जाता है। इन्हीं क्षेत्रों में गौशालाओं की संख्या भी अधिक है, यहां घूमने वाले पालतू मवेशियों को वे अपना शिकार बना रहे हैं। इन घटनाओं को देखते हुए वन विभाग ने बाघ, तेंदुए के लिए जंगल के अंदर ही पानी उपलब्ध कराने के लिए वॉटर टैंक बनाने का काम शुरू कर दिया है। साथ ही मवेशियों की रोकथाम के लिए गौशाला संचालकों की बैठक बुलाई है।
हाल ही में हुई घटनाओं को देखते हुए वन विभाग के अधिकारियों ने राजधानी से सटे जंगल का सर्वे शुरू कर दिया है। जिसमें पानी की कमी वाले क्षेत्रों को चिन्हित किया जा रहा है। अभी तक मेंडोरा, नयापुरा, दानिश हिल्स, 13-शटर गेट और बुलमदर फार्म के पिछले हिस्से में 5 स्थान मिले हैं, जहां पर वॉटर टैंक बनाने का काम शुरू हो गया है। ताकि बाघ और तेंदुए को जंगल के अंदर ही पानी मिल सके। समरधा रेंज के डिप्टी रेंजर आरबी शर्मा ने बताया कि क्षेत्र में पालतू मवेशियों की रोकथाम के लिए 28 मार्च को वन विहार में वन सीमा से सटी गौशाला संचालकों की मीटिंग बुलाई गई है। जिसमें मवेशियों की रोकथाम पर चर्चा होगी। शिक्षण संस्थान के संचालकों से भी चर्चा करेंगे, ताकि बाघ, तेंदुए और अन्य वन्यजीवों से मानव के टकराव की स्थिति न बने।
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