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कलियासोत पहाड़ी पर बने पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद कॉलेज में डॉक्टर अगर आपको पंचकर्म कराने की सलाह देते हैं तो इसके लिए आपको 20 दिन से एक महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है। वजह, यहां पर पंचकर्म के लिए मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। हर साल 20 से 30 फीसदी मरीज बढ़ रहे हैं। 20 टेबल, 10 कर्मचारी होने के बाद भी मरीजों को पंचकर्म के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि हर दिन करीब 150 मरीजों का पंचकर्म किया जा रहा है। एक मरीज का 15 दिन से एक महीने तक पंचकर्म चलता है। इस वजह से नए मरीजों को देरी से मौका मिल पाता है। यहां पर आमतौर पर एक महीने की वेटिंग रहती है। अभी होली के चलते मरीज कम हो गए हैं, इसलिए 20 दिन ही इंतजार करना पड़ रहा है।
पंचकर्म
वमन (उल्टी कराना)- सर्दी, खांसी व कफ के मरीजों के लिए।
विरेचण-शरीर से अपशिष्टों को बाहर निकालने के लिए अलग-अलग क्रियाएं।
बस्ती कर्म (एनीमा)- यह तीन तरह से दी जाती है। पेट के विकार के मरीजों के लिए फायदेमंद है।
नस्य कर्म (नाक से औषधियां देना)- नाक से द्रव या पाउडर डाला जाता है। सिर दर्द और मानसिक बीमारियों के लिए फायदेमंद।
रक्तमोक्षण- दूषित रक्त को दूर करने के लिए।
अन्य- शिरोधारा- तेल या दूध की धार शरीर के किसी हिस्से में गिराई जाती है। लकवा और अस्थि रोग के मरीजों के लिए।
स्वेदन- शरीर से पसीना निकालने के लिए मालिश की जाती है।
भाप देना- इलेक्ट्रिक से चलने वाली एक मशीन होती है। इसमें मरीज को डाल दिया जाता है। इसके बाद हल्की भाप दी जाती है, जिससे रोम छिद्र खुल जाएं।
पंचकर्म महीने भर चलने के चलते प्राइवेट वार्डों की मांग भी बढ़ गई है। सूत्रों ने बताया कि कॉलेज में 34 प्राइवेट वार्ड हैंं। एक वार्ड का एक दिन का किराया डेढ़ सौ रुपए है। इसके बाद भी प्राइवेट वार्ड के लिए एक महीने की वेटिंग चल रही है। सूत्रों ने बताया कि वार्डों सभ्ाी सुविधाएं हैं। कुछ वार्डाे में टीवी भी लगे हैं, इसलिए मांग ज्यादा है।
अस्पताल अधीक्षक डॉ. नितिन मारवाह ने बताया पंचकर्म से मरीजों को काफी आराम मिल रहा है। दूर के जिलों से भी मरीज आ रहे हैं। मरीजों की संख्या हर साल 20 से 30 फीसदी तक बढ़ रही है, इसलिए वेटिंग रहती है।
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