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डॉ. नरोत्तम मिश्रा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में विकास की नई इबारत लिखी है। इस इबारत को लिखने के लिए उन्होंने इबादत की तरह काम किया है। सीहोर जिले के एवं छोटे से गांव की गलियों से निकलकर सार्वजनिक क्षेत्र में आने और फिर संगठन से लेकर सरकार के मुखिया की जिम्मेदारी निभाने में श्री चौहान की सक्रिय भूमिका सामने आई है। उन्होंने हर तबके की तरक्की के लिए कदम उठाए हैं। यही वजह है कि देश के मुख्यमंत्रियों में उनकी अलग पहचान भी बनी है। राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज जी ने दायित्व संभालने से लेकर अब तक निरंतर गतिशील रहकर जन-जन का कल्याण सुनिश्चित किया है। ऐसे अनेक अवसर आए जब प्रदेश के किसान अतिवर्षा, बाढ़, दुर्घटनाओं का अनायास शिकार हुए। प्रदेश के नागरिकों की सहायता के लिए जिस तत्परता से मुख्यमंत्री श्री चौहान आगे आते हैं, वो बेमिसाल है। बीते वर्ष सिंहस्थ के दौरान आंधी-तूफान आने पर उज्जैन में आश्रमों के क्षतिग्रस्त हो जाने और आम लोगों के रहवास के स्थानों के उखड़ जाने की वेदना शिवराज जी ने महसूस की। वे प्रदेश के दूसरे कोने में प्रवास पर रहने पर भी सड़क मार्ग से 15-20 घंटों की यात्रा कर उज्जैन पहुंच गए थे। तुरंत ही सभी इंतजाम ठीक करवाए गए और लोगों को राहत मिली। मप्र के अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग और यहां तक कि सामान्य निर्धन वर्ग के विद्यार्थी भी छात्रवृत्ति और अन्य सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। अब तक मप्र को 4 बार कृषि कर्मण अवॉर्ड से नवाज जा चुका है। इसके पीछे एक खास वजह मप्र में विकसित सिंचाई सुविधाएं भी हैं। जहां पहले प्रदेश में केवल साढ़े 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा थी, वहीं अब यह बढ़कर सरकारी स्रोतों से लगभग 40 लाख हेक्टेयर हो गई है। मप्र में अगले कुछ वर्ष में यह क्षमता 60 लाख हेक्टेयर हो जाएगी। आने वाले 3 साल में सिंचाई परियोजनाओं में 25 हजार करोड़ रुपए का निवेश करने की तैयारी है। इस साल उपलब्ध करवाई गई सिंचाई सुविधा की बात करें तो रबी और खरीफ सीजन में लगभग 3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई करवाई गई। [लेखक नरोत्तम मिश्रा मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री हैं]
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