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कोलार के गिरधर परिसर स्थित प्ले स्कूल किड्जी में नर्सरी में पढ़ने वाली तीन साल की मासूम छात्रा से ज्यादती मामले में रिटायर्ड सत्र न्यायाधीश रेणु शर्मा ने कहा बच्ची की मां का बयान सबसे महत्वपूर्ण है। उनकी शिकायत पर तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की गई। बच्ची का मेडिकल तुरंत नहीं कराना गंभीर चूक है। पूरे मामले में पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई। चार दिन बाद पुलिस रिमांड लेकर कुछ नहीं निकलेगा। मामले की निष्पक्ष जांच स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कराए जाने के आदेश होने चाहिए।
इस मामले में पुलिस की कार्य प्रणाली अब भी संदेह के घेरे में है। आरोपी को पुलिस को रिमांड पर लेना चाहिए था लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया। रिमांड मांगे जाने पर आरोपी को घटनास्थल पर ले जाया जाना था। जिस किचिन में ज्यादती की गई उसमें रखा सामान जब्त करना, फिंगर प्रिंट लिए जाने थे। बच्ची के कपड़े जब्त किए जाने थे। आरोपी की पहचान के लिए पुलिस रिमांड जरूरी था।
ज्यूडिशियल रिमांड (जेआर)-पुलिस ज्यूडिशियल कस्टडी तब मांगती है जब उसे आरोपी से कोई पूछताछ, मेमोरेंडम अथवा जब्ती नहीं करनी हो। इस मामले में पुलिस की मंशा साफ दिखती है कि आरोपी को जेल भेजने से मामला ठंडा हो जाएगा। पुलिस को मामला कमजोर करने का मौका मिलेगा।
बुधवार को पुलिस ने आरोपी को इस तरह न्यायालय में पेश किया कि वकीलों तक को इसकी भनक नहीं लग पाई। पुलिस को आरोपी के न्यायालय में पीटे जाने की आशंका थी। आरोपी ने पूछताछ में अपने पर लगे आरोपों को भी नकार दिया है। हालांकि क्राइम ब्रांच ने अपने स्तर पर मामले की नए सिरे से जांच शुरू कर दी है।
सूत्रों की मानें तो बच्ची घटना से इतनी सहम गई है कि कुछ बोल भी नहीं पा रही है। वह घटना के बारे में ज्यादा कुछ तो नहीं बता पा रही, लेकिन इशारे में इतना कहती है कि अंकल गंदे हैं। वह बार-बार एक ही बात दोहराती रहती है। पुलिस को उससे इस एक सवाल का जवाब लेने में मंगलवार को 4 घंटे लग गए।
यहां किड्जी स्कूल को फ्रेंचाईसी देने वाली किड्जी के प्रबंधन ने अनुतोष के खिलाफ पुलिस में कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
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