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नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमा के लिए चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। चंद्रयान-3 लैंडर, रोवर और पॉपुलेशन मॉड्यूल से लैस है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसरो को बधाई देते हुए कहा कि भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित करते हुए चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। इसरो टीम और इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए अथक प्रयास करने वाले सभी लोगों को हार्दिक बधाई। यह अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति के प्रति देश की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। चंद्र मिशन की सफलता के लिए शुभकामनाएं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा है। यह हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाते हुए ऊंची उड़ान भरता है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। वे उनकी भावना और प्रतिभा को सलाम करते हैं।
चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो में जश्न मनाया गया। इस अवसर पर मौजूद केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह एक गर्व का क्षण है और इसके लिए वह इसरो की टीम को धन्यवाद देते हैं। उन्होंने देश को गौरवान्वित महसूस कराया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि स्काई इज नॉट द लिमिट और आज हम आकाश से भी आगे निकले हैं ताकि आगे की दुनिया को देख सकें। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का विक्रम साराभाई ने छह दशक पहले सपना देखा था। यह उनके और भारतीय वैज्ञानिकों के आत्मविश्वास का नतीजा है कि आज हम इस पड़ाव पर पहुंचे हैं। आज हम आत्मनिर्भरता के साथ दुनिया में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। हमारे प्रिय एलवीएम3 ने पहले ही चंद्रयान-3 यान को पृथ्वी के चारों ओर सटीक रूप से स्थापित कर दिया है। आइए हम चंद्रयान-3 को आने वाले दिनों में कक्षा उत्थान और चंद्रमा की ओर यात्रा के लिए शुभकामनाएं दें। कक्षा उत्थान प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 को चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेप पथ में डाला जाएगा। तीन लाख किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए यह आने वाले हफ्तों में चंद्रमा पर पहुंचेगा। यहां सॉफ्ट लैंडिंग के बाद यान पर मौजूद वैज्ञानिक उपकरण चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे।
उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 के बाद का मिशन है। चंद्रयान में लैंडर और रोवर पर लगे वैज्ञानिक उपकरण चंद्रमा के पर्यावरण और थर्मो-फिजियो गुणों सहित चंद्रमा के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने में सक्षम होंगे। साथ ही चंद्रयान-3 मिशन में शामिल एक अन्य प्रायोगिक उपकरण पृथ्वी के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने में भी सक्षम हो सकेगा।
चंद्रयान-3 की सफलता से भारत चंद्रमा की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बना जाएगा। चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है और इसका उद्देश्य चंद्रमा अथवा चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और रोविंग में भारत की क्षमता का प्रदर्शन करना है। अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के लिए आवश्यक जटिल मिशन प्रोफ़ाइल को बहुत सटीक तरीके से क्रियान्वित किया गया है। चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद छह पहियों वाला रोवर बाहर आएगा और चंद्रमा पर 14 दिनों तक कार्य कर सकेगा। रोवर पर कई कैमरों के सहयोग से तस्वीरें प्राप्त होंगी।
चंद्रयान-3 मिशन के तीन प्राथमिक उद्देश्य हैं;- चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग का प्रदर्शन, चंद्रमा पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन और इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन।
चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति की खोज करने का श्रेय चंद्रयान की शृंखला में प्रथम अर्थात् चंद्रयान-1 को दिया जाता है, जो दुनिया और सबसे प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए एक नई खोज थी और यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका का नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) इस खोज से आकर्षित हुआ और उन्होंने अपने आगे के प्रयोगों के लिए इस इनपुट का उपयोग किया।
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