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केरवा, कोलार, कलियासोत में अगले माह सर्वे
केरवा, कोलार ,रातापानी और कलियासोत के जंगलों में घूमने वाले बाघों की सुरक्षित बसाहट को बनाने के लिए वन विभाग द्वारा रातापानी में पांच करोड़ की लागत से घास के जंगल बनाने अगले महीने सर्वे किया जाएगा। इस सर्वे में यह स्पष्ट किया जाएगा कि कितनी जगह जंगल बनाने के लिए ली जानी है और उसको किस तरह से संरक्षित किया जाएगा। इस क्षेत्र को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाएगा और जंगलों में होने वाले निर्माण कार्यों पर रोका जाएगा। क्षेत्र में हुए निर्माण को भी चिन्हित कर उसको हटाने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे। रातापानी में 59 बाघ, 100 तेंदुए और 150 से ज्यादा भालू हैं जिनको शिकारियों से बचाने के लिए उनका अलग से जंगल विकसित करने की योजना है। बाघ सहित अन्य जानवरों की सुरक्षा के लिए घास के जंगल विकसित होंगे। पानी और सुरक्षा का प्रबंध होगा। स्टाफ को वन्यप्राणियों की देखरेख के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। गश्ती दल व वाहन बढ़ेंगे। वन्यप्राणियों को लेकर लोगों को जागरुक किया जाएगा। डिवीजन की जिम्मेदारी ऐसे अफसर को सौंपी जाएगी, जो वन्यप्राणी प्रबंधन में दक्ष हो। इनकी रेग्युलर वॉचिंग भी की जाएगी।
टाइगर के मूवमेंट के लिए बाघों के कॉरीडोर वाले क्षेत्र को चिन्हित कर वहां पर 11 किलोमीटर की फेंसिंग करने का प्रस्ताव वन विभाग ने बनाया है। इसके लिए भोपाल से लेकर रायसेन, औबेदुल्लागंज, सागर और मंडला तक के लैंडस्कैप की उस जगह पर फोकस किया जाएगा जहां से बाघों का मूवमेंट शहर की ओर बढ़ता है। केरवा-कलियासोत के आसपास का जंगली क्षेत्र ऐसा हैं, जहां बाघ आते हैं। बाघ पानी की तलाश में रिहायशी क्षेत्र से लगे तालाब में न जाएं, इसके लिए वन क्षेत्र में कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं। इन तालाबों की प्रोपर वॉचिंग की जाती है, जिससे यह पता चल सके कि कौन सा तालाब सूख रहा है और कौन सा नहीं।
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